शरद पूर्णिमा को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है, जिससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है। मान्यता है कि इस दिन स्नान से शरीर की ऊर्जा का संचार होता है और आत्मा शुद्ध होती है। इसके साथ ही दान-पुण्य से पुण्य की प्राप्ति होती है और यह दिन समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है। शरद पूर्णिमा के अवसर पर प्रकृति की दिव्यता और चंद्रमा की पूर्णता से आकलित होने वाले आध्यात्मिक लाभों का अनुभव होता है।
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राशि संख्या के अनुसार दान का विशेष महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन राशि के अनुरूप दान-पुण्य करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पूरी कृपा से उन लोगों पर बरसती हैं जो अपनी जन्म कुंडली के अनुसार निश्चित वस्तुओं का दान करते हैं। उदाहरण के तौर पर, मेष राशि के जातक खीर, कर्क राशि वाले मिश्री युक्त दूध, सिंह राशि के लिए गुड़, तुला के लिए दूध-चावल, और मीन राशि के जातकों के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ माना जाता है। यह दान मां लक्ष्मी की प्रसन्नता का कारण बनता है और समृद्धि प्रदान करता है।
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चंद्रमा की स्थिति और जन्म कुंडली पर प्रभाव
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपने समुद्रतल के सबसे नजदीक होता है, जिससे उसकी किरणें विशेष प्रभावशाली होती हैं। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन चंद्रमा की स्थिति किसी की जन्म कुंडली में सकारात्मक प्रभाव डालती है जिससे मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और समृद्धि की प्राप्ति होती है। खासतौर पर जिनकी कुंडली में चंद्र दोष हो, उनके लिए यह दिन आध्यात्मिक शुद्धि का अवसर प्रस्तुत करता है। चंद्र देव की पूजा और चंद्रमा की रोशनी में की गई साधना से व्यक्ति को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।



