Supreme Court says Government to pay bail amount of poor undertrials- जज एमएम सुंदरेश और एससी शर्मा की पीठ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है जिसके अनुसार DLSA (जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण) अब एक लाख रुपये तक की जमानत राशि भर सकता है। यह निर्णय उन मामलों में लागू होगा जहां ट्रायल कोर्ट ने जमानत राशि एक लाख रुपये से अधिक निर्धारित की हो। यदि ऐसा होता है तो DLSA उस अधिक जमानत राशि को कम करवाने के लिए आवेदन दायर करेगा। इस निर्णय से जमानत प्रक्रिया में न्यायिक सुधार की उम्मीद बढ़ी है जो आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिए राहत प्रदान करेगा।
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DLSA की भूमिका और महत्व
DLSA एक सरकारी संस्था है जो आर्थिक रूप से कमजोर व जरूरतमंद अभियुक्तों को कानूनी सहायता और बचाव उपलब्ध कराती है। यह प्राधिकरण न्याय संबंधी सेवाओं को सरल बनाकर न्याय पाने की प्रक्रिया में पैसों की कमी को एक बड़ी बाधा नहीं बनने देता। हालिया आदेश के अनुसार, यदि किसी आरोपी के लिए उच्च जमानत राशि तय की जाती है, तो DLSA उस राशि को कम करवाने के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकता है, जिससे गरीब और वंचित लोग जेल में बिना कारण फंसे रहने से मुक्त होंगे।
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नई गाइडलाइन और उसे लागू करने के उपाय
शीर्ष न्यायाधीशों द्वारा जारी नई गाइडलाइन के तहत, यदि किसी आरोपी को जमानत granted होने के बावजूद भी सात दिनों के भीतर जेल से रिहा नहीं किया जाता है, तो जेल प्रशासन को DLSA सचिव को सूचना देनी होगी। इसके बाद DLSA का अधिकारी आरोपी की आर्थिक स्थिति की जांच कर जमानत राशि भरने में मदद करेगा। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि आर्थिक कमजोर वर्ग को न्याय मिलना सुनिश्चित हो और उनका अधिकार बाधित न हो। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और एससी शर्मा की पीठ ने स्पष्ट किया है कि यह कदम न्यायपालिका में न्याय की पहुंच को बढ़ावा देगा।



