How to perform Tulsi puja in Kartik month”–कार्तिक मास हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। यह महीना भगवान विष्णु को विशेष प्रिय है तथा इस मास में होने वाले व्रत-उत्सव भगवान विष्णु की भक्ति के साथ तुलसी पूजा को भी बेहद महत्वपूर्ण बताते हैं। कार्तिक मास में तुलसी की पूजा करने से व्यक्ति को अनेक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु बिना तुलसी के भोग स्वीकार नहीं करते और तुलसी माता में मां लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए तुलसी पूजा से घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता बनी रहती है। यह पूजा घर के वास्तु दोष को भी दूर करती है और वातावरण को शुद्ध बनाती है।
http://मध्यप्रदेश स्कूल में शिक्षक ने योग आड़ में नमाज के आसन सिखाए? बोला योगा था.
कार्तिक मास में तुलसी पूजन की विधि
तुलसी पूजन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और साफ कपड़े पहनकर की जाती है। इसके बाद तुलसी के पौधे को स्वच्छ जल अर्पित करें, सिंदूर लगाएं, लाल फूल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। शाम को भी तुलसी के पास घी या तिल के तेल का दीपक जलाना शुभ माना गया है। तुलसी स्तोत्र और मंत्रों का पाठ किया जाता है और तुलसी की आरती उतारी जाती है। पूजा के अंत में तुलसी को मिठाई, फल या गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है। तुलसी के पौधे के चारों ओर रंगोली बनाना और पूजा स्थल की सफाई रखना भी आवश्यक होता है।
http://MP में चल रहा था धर्मान्तर, 50 महिलाओं को इसाई बनाने का आरोप.
भगवान विष्णु और तुलसी का विशेष जुड़ाव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास में भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जाग्रत होते हैं, जिसे प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। इस दिन तुलसी और भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के विवाह का आयोजन भी होता है, जिसे तुलसी विवाह कहा जाता है। तुलसी पूजा इस कारण भी जरूरी मानी जाती है क्योंकि श्रीहरि विष्णु तुलसी के बिना कोई भोग स्वीकार नहीं करते। इसी मास में तुलसी विवाह करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।



