भोपाल के विनोद ने अपने दोस्त की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए एक खास व्रत रखा है। उन्होंने कहा कि इस व्रत का संकल्प उन्होंने दोस्ती की गहराई से लिया है, जिसमें जेंडर या किसी नियम की कोई बाधा नहीं होती। विनोद का मानना है कि सच्ची दोस्ती या प्यार में लिंग या पाबंदियाँ मायने नहीं रखतीं। उनके अनुसार, इस व्रत को पूरा करने में पत्नी धर्म निभाकर पूजा अर्चना की जाएगी और करवा चौथ के दिन जल अर्पित करने के बाद इसे तोड़ा जाएगा।
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करवा चौथ व्रत का धार्मिक महत्व
करवा चौथ का व्रत हिंदू धर्म की एक प्रमुख परंपरा है, जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और कुशलता के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। यह व्रत प्रेम, समर्पण और परिवार के प्रति सम्मान का प्रतीक होता है। विनोद के इस व्रत से स्पष्ट होता है कि यह त्योहार केवल पति-पत्नी के संबंधों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि दोस्ती और मानव संबंधों को भी गहरा करने का माध्यम बन सकता है। पूजा विधि में जल अर्पण और करवा चौथ की कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है, जो व्रत के आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाता है।
व्रत तोड़ने की विधि और सामाजिक संदेश
विनोद ने यह भी बताया कि व्रत को कैसे तोड़ा जाएगा, जिसमें जल अर्पित करना और पारंपरिक पूजा की प्रक्रिया निभाना शामिल है। यह व्यक्ति के भक्ति और दोस्ती के प्रति रस्मों में गहरे जुड़े होने का प्रतीक है। उन्होंने इस अवसर पर दोस्ती के संबंध में कहा कि प्रेम या दोस्ती के लिए कोई नियम, जाति या लिंग नहीं होता, जो समाज में समरसता और भाईचारे का संदेश देता है। उनका यह बयान लोगों के लिए एक प्रेरणा है कि रिश्ते सच्चाई और सम्मान से ही मजबूत होते हैं।


