US Australia 8.5 billion rare earth minerals deal 2025– अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने व्हाइट हाउस में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ मिनरल्स यानी दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को लेकर चीन के लंबे समय से चल रहे वर्चस्व को चुनौती देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। सोमवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने 8.5 अरब डॉलर की इस डील को अंतिम रूप दिया, जिसके तहत दोनों देश छह महीनों के भीतर खनन और प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट्स में 1-1 अरब डॉलर निवेश करेंगे ।
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वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की रणनीति
इस समझौते के तहत अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया मिलकर एक मज़बूत “क्रिटिकल मिनरल फ्रेमवर्क” तैयार करेंगे, जिससे पश्चिमी देशों की रक्षा, एयरोस्पेस और इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों को आवश्यक खनिजों की स्थायी सप्लाई सुनिश्चित की जा सके। अमेरिकी सरकार ने इस परियोजना के लिए कई ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों जैसे अराफ़ुरा रेयर अर्थ्स, नॉर्दन मिनरल्स और लैट्रोब मैग्नीशियम को 2.2 अरब डॉलर से अधिक की सहायता देने की घोषणा की है । यह पहल पश्चिमी देशों की आपूर्ति शृंखला को चीन की पकड़ से बाहर निकालने की दिशा में निर्णायक कदम मानी जा रही है।
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चीन का घटता दबदबा और बढ़ता दबाव
वर्तमान में चीन विश्व का सबसे बड़ा रेयर अर्थ उत्पादक है, जो लगभग 70% वैश्विक खनन और 90% प्रोसेसिंग पर एकाधिकार रखता है । बीते वर्षों में चीन ने विदेशी कंपनियों पर रेयर अर्थ मैग्नेट्स और प्रोसेसिंग तकनीक के निर्यात पर कड़े नियंत्रण लगाए हैं, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी थी । विश्लेषकों का मानना है कि अब अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया की यह साझेदारी चीन की मूल्य नियंत्रण और बाजार पर पकड़ बनाए रखने की नीति को गंभीर रूप से चुनौती देगी।