central government to soften stance on MNREGA preparations – सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ग्रामीण विकास योजना, खासकर मनरेगा (MGNREGA) योजना को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में इस योजना को फिर से शुरू करने का आदेश दिया है और केंद्र सरकार की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। केंद्र सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण इस योजना को हाल में रोक दिया गया था, जिससे लाखों ग्रामीण मजदूर प्रभावित हुए थे। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय राज्य में पुनः योजना को बहाल करने का मार्ग प्रशस्त करता है.
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विशेष शर्तों के साथ योजना की बहाली पर मंत्रालय की योजना
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय विशेष शर्तों के साथ योजना को पुनः चालू करने पर विचार कर रहा है। मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सूचित किया है कि वह धारा 27 के तहत योजना की बहाली करते समय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग, त्रैमासिक ऑडिट रिपोर्ट और फंड के उपयोग की सख्त समीक्षा जैसी व्यवस्थाएं लागू कर सकता है। इसका उद्देश्य योजना के अंतर्गत होने वाले भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को पूरी तरह रोकना है ताकि योजना के लाभ सीधे और सही तरीके से लाभार्थियों तक पहुंचे.
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पश्चिम बंगाल में मनरेगा योजना का प्रभाव
बंगाल में मनरेगा योजना के ठप पड़ने से लगभग 51 से 80 लाख परिवार प्रतिवर्ष प्रभावित हुए थे। यह योजना ग्रामीण मजदूरों के लिए महत्वपूर्ण रोजगार स्रोत थी। राज्य की सत्ताधारी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को “ऐतिहासिक न्याय” बताया है और इसे ग्रामीण गरीबों के अधिकारों की रक्षा के रूप में स्वीकार किया है। इससे राज्य में सामाजिक-आर्थिक सुधारों को बड़ी मजबूती मिलेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी
