राजस्थान की राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार देर रात लगभग 11:10 बजे अचानक आग लग गई। यह आग मुख्य रूप से ट्रॉमा सेंटर के दूसरी मंजिल पर स्थित न्यूरो आईसीयू के स्टोर रूम से शुरू हुई, जहां मेडिकल सामान रखा गया था। आग लगते ही अस्पताल के मरीजों और उनके परिजनों में अफरा-तफरी मच गई, लेकिन अस्पताल स्टाफ और परिजनों ने मिलकर कई मरीजों को जिंदा बाहर निकालने की कोशिश की
आग की लपटें और जहरीला धुआं, मरीजों को भारी मुश्किलें
आग के कारण आईसीयू वार्ड में तेज लपटें निकलने लगीं और जहरीली गैसें फैल गईं, जिसने वहां भर्ती मरीजों के लिए स्थिति और भी भयावह बना दी। आग लगने के समय आईसीयू और सेमी-आईसीयू में कुल 24 मरीज भर्ती थे, जिनमें से 11 मरीज उसी वार्ड में थे जहां आग लगी थी। दमकल विभाग की गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंची, लेकिन धुएं और आग की तेज लपटों के कारण राहत और बचाव कार्य में मुश्किलें आईं। कई मरीजों को अस्पताल कर्मियों और परिजनों की मदद से खिड़कियां तोड़कर बाहर निकाला गया। बेड और गद्दे सहित मरीजों को सड़क पर ले जाकर प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की गई.
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हादसे में छह गंभीर मरीजों की मौत, पाँच अन्य की हालत गंभीर
इस भीषण हादसे में छह मरीजों की मौत हो गई, जिनमें दो महिलाएं और चार पुरुष शामिल हैं। मृतकों में पिंटू सीकर, दिलीप आंधी, श्रीनाथ भरतपुर सहित अन्य मरीज शामिल हैं। इसके साथ ही पांच अन्य मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है और उन्हें तुरंत अस्पताल के अन्य वार्डों या बेहतर चिकित्सा केन्द्र में स्थानांतरित किया गया है। मृतकों के परिजन अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और फायर सेफ्टी उपकरणों की कमी के कारण आग लगने का आरोप लगा रहे हैं। इससे अस्पताल में पुनः फायर सुरक्षा प्रबंधन के सवाल खड़े हो गए हैं