दिल्ली में नहीं हो सका रावण दहन भारी बारिश PM मोदी का कार्यक्रम रद्द

दिल्ली‑एनसीआर में दशहरा शाम को हुई तेज बारिश ने त्योहार की रौनक को थाम दिया। कई मैदानों में पानी भर गया, दर्शक छाते और बारिश से बचाव की जगह तलाशते दिखाई दिए। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की सजावट भी भीगकर ढीली पड़ गई।

VIP कार्यक्रमों पर सीधा असर

मौसम की मार से सुरक्षा और प्रोटोकॉल की समीक्षा करनी पड़ी, जिसके चलते राजधानी के प्रमुख आयोजनों की रूपरेखा बदली। बारिश थमने के स्पष्ट संकेत न मिलने पर मुख्य अतिथियों के कार्यक्रम रद्द करने का निर्णय लिया गया। इससे प्रमुख स्थलों की भीड़ और यातायात योजना तुरंत बदलनी पड़ी।

अमेरिका में कोरोना  के नए वैरिएंट  स्ट्रेटस XFG ने दी दस्तक 

आईपी एक्सटेंशन की बदलती योजना

पूर्वी दिल्ली के आईपी एक्सटेंशन मैदान में बड़ी तैयारियां थीं, मंचन से लेकर आतिशबाज़ी तक सब तय समय पर होना था। लगातार फुहार और तेज बौछारों के बीच आयोजन समिति को दर्शकों की सुरक्षा पहले रखनी पड़ी। पुतलों को भी अतिरिक्त कवर में लेना पड़ा ताकि दहन के समय तकनीकी जोखिम न बने।

शारदा इंस्टीट्यूट की तीन महिला अधिकारी गिरफ्तार, छात्राओं को धमकाकर चैतन्यानंद को भेजने के आरोप

लाल किले के पास भी मुश्किलें

लाल किले के आसपास के बड़े आयोजनों में सीटिंग एरिना भीग गए और कई हिस्सों में फिसलन बढ़ गई। बारिश से भीगी साउंड और लाइटिंग व्यवस्था को तकनीकी टीम ने बार‑बार रीसेट किया। दर्शकों को स्टेज के पास भीड़ न बनाने की अपील की गई ताकि फायर सेफ्टी मानक कायम रहें।

“रामलीला नहीं रुकती” की जिद

आयोजक समितियों ने स्टेज और बैकस्टेज को तिरपाल से ढककर प्रस्तुति जारी रखने की कोशिश की। जहां संभव हुआ, सांकेतिक दृश्यों को छोटे मंच पर शिफ्ट कर नाटक का क्रम बचाए रखा गया। कलाकारों और तकनीशियनों ने भीगते‑भीगते भी मंचन की लय नहीं टूटने दी।

मैदानों में जलभराव की चुनौती

हल्की से तेज बारिश के बीच कई मैदानों में ड्रेनेज व्यवस्था पर दबाव बढ़ा। आपात दलों ने पंप और रबर मैट बिछाकर फिसलन घटाई और निकास मार्ग बनाए। भीड़‑प्रवेश को चरणबद्ध कर अनावश्यक धक्का‑मुक्की से बचाया गया।

पुतला‑दहन की तकनीकी परीक्षा

भीगे पुतलों को सुरक्षित तरीके से खड़ा रखना सबसे बड़ी चुनौती बना रहा। फायर लाइन, स्पार्क और हवा की दिशा के मद्देनज़र दहन‑क्रम में समय‑समय पर बदलाव हुए। जहां सामग्री ज़्यादा भीग गई, वहां प्रतीकात्मक दहन का विकल्प अपनाया गया।

पीतमपुरा और द्वारका की तस्वीर

पीतमपुरा में तेज बारिश के बाद मैदान में फिसलन बढ़ी, इसलिए सुरक्षा घेरा और चौड़ा किया गया। द्वारका में 111 फीट पुतले के दहन से पहले अतिरिक्त फायर सेफ्टी उपकरण लगाए गए। हल्की बूंदाबांदी में भी कार्यक्रम समय के करीब निपटाया गया।

नोएडा‑गाजियाबाद में भी असर

नोएडा स्टेडियम और आसपास के मैदानों में दर्शकों ने बारिश से बचाव के लिए छतरीदार गलियारों का सहारा लिया। कई जगहों पर दहन का समय आगे‑पीछे किया गया ताकि भीड़ एक साथ न उमड़े। आयोजनों की लाइव कमेंट्री से उपस्थित लोगों को अपडेट मिलते रहे।

तितारपुर के कारीगरों की चिंता

तस्वीरों में तितारपुर के पुतला‑निर्माण केंद्र पर भी बारिश का असर दिखा, जहां तैयार हिस्सों को बचाने के लिए कारीगरों ने रात भर मेहनत की। गोंद और कागज़ की परतें भीगने से कई हिस्से फिर से जोड़ने पड़े। इसके बावजूद सजावटी काम को जल्दबाज़ी में नहीं, सुरक्षा ध्यान में रखकर पूरा किया गया।

यातायात और सुरक्षा की नई रेखा

वर्षा के चलते कई VIP मार्गों की बैरिकेडिंग को लचीला बनाया गया ताकि भीड़ तेजी से छंट सके। ट्रैफिक पुलिस ने पार्किंग को वैकल्पिक खंडों में शिफ्ट किया और वाटर‑लॉगिंग वाली सड़कों का डायवर्जन जारी किया। सार्वजनिक घोषणाओं में छाते, रेनकोट और फिसलन से सावधानी की लगातार अपील हुई।

मौसम संकेत और अगला दौर

मौसम विभाग ने शाम की बारिश की संभावना पहले ही जताई थी, जो राजधानी भर में सही साबित हुई। अगले कुछ दिनों के लिए बादलों की आवाजाही और हल्की बारिश के संकेत जारी रहे। एक दिन का येलो अलर्ट लोगों को सतर्क रहने और खुले आयोजनों में बैकअप योजना रखने का संदेश देता रहा।

भीगी भीड़ का उत्साह

बारिश के बावजूद परिवार बच्चों के साथ रामलीला देखने पहुंचे और छतरियों के नीचे भी इंतज़ार करते रहे। सजावटी रोशनी, ढोल‑नगाड़ों की थाप और जयघोषों ने मनोबल ऊंचा रखा। जहां दहन देर से हुआ, वहां भीड़ ने संयम के साथ कार्यक्रम का साथ दिया।

मंचन की सीख और सुधार

कई समितियां अब स्थायी रेन‑कवर, ग्राउंड ड्रेनेज और वैकल्पिक समय‑खंड जैसी व्यवस्था को मानक बनाने पर विचार कर रही हैं। तकनीकी टीमों ने लाइट‑साउंड को वाटर‑प्रूफिंग से बेहतर सुरक्षित करने के सुझाव दिए। आपदा प्रबंधन अभ्यास को भी त्योहार‑पूर्व अनिवार्य बनाने की बात उठी।

त्योहार की लय बनी रही

बरसात ने तैयारियों की परीक्षा ली, मगर मंच पर रामकथा की लय थमी नहीं। जहां रास्ते भीगे, वहां मनोबल ने सहारा दिया और रस्में पूरी हुईं। भीगे आसमान के बीच भी विजयादशमी का संदेश मंच से दर्शकों तक साफ सुनाई देता रहा।

Exit mobile version