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 फर्जी ‘आईएएस’ का खुलासा करोड़ों के काफिले और आलीशान फ्लैट में चलता था ठाठ

लखनऊ की सड़कों पर शान-ओ-शौकत से घूमते किसी बड़े अफसर को देख लोग अक्सर दंग रह जाते थे। सफेद फॉर्च्यूनर, लग्जरी गाड़ियां, सुरक्षाकर्मी जैसे बॉडीगार्ड और एक ऐसा ठसक भरा अंदाज, जिसे देखकर कोई भी धोखा खा जाए। लेकिन बुधवार रात पुलिस ने हकीकत का नकाब उतारा तो सामने आया कि यह शख्स कोई असली आईएएस नहीं, बल्कि फर्जीवाड़े का उस्ताद था।

पुलिस की सूझ-बूझ से हुआ पर्दाफाश

पुलिस को लंबे समय से सूचना मिल रही थी कि शहर में एक तथाकथित ‘आईएएस अधिकारी’ सरकारी ठेके, प्रभाव और पहचान का फायदा उठा रहा है। छानबीन के बाद जब जांच की सुई शालीमार वन वर्ल्ड, गोमतीनगर एक्सटेंशन के एक लक्ज़री अपार्टमेंट तक पहुँची, तो पुलिस टीम हैरान रह गई। उस फ्लैट का मासिक किराया 60,000 रुपये था, जबकि केवल 10,000 रुपये अलग से मेंटीनेंस शुल्क दिया जाता था। यह खर्च किसी युवा अफसर के लिए भी असाधारण माना जाता है।

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नकली पहचान पर गढ़ी कहानी

गिरफ्तार युवक ने खुद को आईएएस अधिकारी बताकर प्रशासनिक उच्चाधिकारी जैसा माहौल बना रखा था। लगातार काफिला बदलना, सरकारी अंदाज में बातचीत करना और गाड़ियों पर विशेष नंबर लगवाना उसकी ‘ताकत’ का हिस्सा था। लोग उसके सामने सवाल करने से झिझकते, और यही उसका सबसे बड़ा हथियार था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, वह अपने झूठे ‘पद’ का इस्तेमाल कर महंगे होटलों में ठहरता और वीवीआईपी व्यवहार प्राप्त करता।

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ठाठ-बाट से प्रभावित होते थे लोग

पड़ोसी और उसके संपर्क में आए लोग बताते हैं कि उसके पास रोज नई गाड़ियां आती-जाती थीं। कभी सफेद SUV, कभी काले रंग की सेडान। चाल-ढाल ऐसी कि कोई साधारण इंसान तो उसे ‘आईएएस’ मान ही ले। आसपास के लोगों का कहना है कि वह अक्सर एस्कॉर्ट जैसी गाड़ियों के साथ अपार्टमेंट से निकलता और लौटता था। ठीक वैसे ही जैसे किसी जिले का कलेक्टर या मुख्यमंत्री का दाहिना हाथ।

आलीशान जिंदगी और गहरी चालबाजी

फर्जी आईएएस के जीवनशैली पर नजर डालें तो यह साफ होता है कि धोखे की परतें बिल्कुल सोची-समझी योजना का हिस्सा थीं। किराए का फ़्लैट बिल्कुल हाई-प्रोफाइल सोसाइटी में था। उसका मकसद साफ था कि अगर उसका रहन-सहन अभिजात्यवाद जैसा होगा तो कोई भी उस पर शक नहीं करेगा। यही कारण था कि महीनों तक उसने लोगों को विश्वास दिलाया कि वह सरकार का बड़ा अधिकारी है।

पुलिस के जाल में कैसे फंसा?

चौंकाने वाली बात यह है कि पकड़ में आने से पहले तक युवक आसानी से अपनी ‘कहानी’ को सही साबित करता आ रहा था। लेकिन जब कुछ लोगों को उसकी तैनाती, बैच और आईएएस कैडर से संबंधित सवालों में गड़बड़ी लगी तो जानकारी पुलिस तक पहुँचाई गई। पूछताछ में जब उसने दस्तावेज़ दिखाए तो वे फर्जी निकले। तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

आम जनता को चेतावनी

लखनऊ का यह फर्जीवाड़ा केवल सनसनीखेज वारदात नहीं है बल्कि समाज के लिए सावधान करने वाली कहानी भी है। आज के समय में जब लोग दिखावे से प्रभावित हो जाते हैं, तब ऐसे ठग आसानी से विश्वास अर्जित कर लेते हैं। पुलिस ने कहा है कि जनता को सतर्क रहना चाहिए, किसी की चमक-दमक या बड़ी-बड़ी बातों में यकीन करने से पहले उसकी असलियत जानना जरूरी है।

जांच अभी बाकी

फर्जी आईएएस के तार कहां-कहां तक जुड़े हैं, यह पुलिस की जांच का हिस्सा है। क्या वह किसी बड़े फर्जीवाड़ा गिरोह से जुड़ा था? क्या उसने नौकरी, नियुक्ति या सरकारी अनुबंध के लालच में किसी से पैसा लिया? यह सब खुलासा आगे की पूछताछ में होगा। पुलिस ने अब तक उसके लग्ज़री वाहनों और दस्तावेजों को जब्त कर लिया है।

Tiwari Shivam

शिवम तिवारी को ब्लॉगिंग का चार वर्ष का अनुभव है कंटेंट राइटिंग के क्षेत्र में उन्होंने एक व्यापक समझ विकसित की है वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व दुनिया के नामी स्टार्टप्स के लिये भी काम करते हैं वह गैजेट्स ,ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, स्पेस रिसर्च ,इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ,कॉर्पोरेट सेक्टर तथा अन्य विषयों के लेखन में व्यापक योग्यता और अनुभव रखते हैं|

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