मध्य प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टर की गलत इलाज से बच्चों की मौत, 

MP children deaths due to quack doctors- मध्य प्रदेश के छत्तरपुर और खंडवा जिलों से एक बार फिर बच्चों की मौत की दुखद खबरें सामने आई हैं, जिसने प्रदेश में चिंता की लहर दौड़ा दी है। इन दोनों क्षेत्रों में छोटे बच्चों की मौत को झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा गलत इलाज देना बताया जा रहा है। इन घटनाओं ने स्वास्थ्य व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसी स्थिति में परिजन और आम लोग बेहद आहत हैं।

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छत्तरपुर का दिल दहला देने वाला मामला

छत्तरपुर के लखरावन गांव के भारत अहिरवार के 20 दिन के भतीजे को हल्का बुखार और जुकाम होने पर उसकी मां उसे इलाज के लिए एक तथाकथित ‘बंगाली डॉक्टर’ के पास ले गई। लेकिन डॉक्टर द्वारा दिया गया इलाज बच्चों की हालत को बिगाड़ने वाला साबित हुआ। बच्चे के चाचा ने धड़कता दिल पाने की कोशिश में बच्चे के मुंह से ऑक्सीजन देने का हृदयस्पर्शी प्रयास किया, जो बहुत ही दु:खद दृश्य था। इस मामले में अब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही मृत्यु के कारण स्पष्ट होंगे।​

खंडवा की घटना और झोलाछाप डॉक्टर की जिम्मेदारी

खंडवा जिले के पिपलोद थाना क्षेत्र के गांधवा गांव में एक झोलाछाप डॉक्टर हिमांशु यादव की लापरवाही के कारण दो साल के मासूम की मौत हो गई। झोलाछाप डॉक्टर ने बिना किसी मेडिकल योग्यता के इलाज किया और बच्चे को गलत इंजेक्शन एवं अधिक मात्रा में स्लाइन देने की वजह से उसकी हालत तेजी से बिगड़ी और अंततः उसकी मृत्यु हो गई। मामले की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।​

स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरियां और प्रशासन की प्रतिक्रिया

मध्य प्रदेश में इस प्रकार की घटनाओं की बढ़ती संख्या से स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। झोलाछाप डॉक्टरों को पकड़ने और रोकने की प्रशासनिक व्यवस्था कमजोर साबित हो रही है। खंडवा और छत्तरपुर की घटनाओं का संज्ञान लेने के बाद प्रशासन ने संबंधित जिलों में झोलाछाप डॉक्टरों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। इसके साथ ही स्वास्थ्य अधिकारियों ने मासूम बच्चों की मौत की जांच के लिए टीम गठित कर दी है।

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