देश की प्रमुख जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार रात को रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार कर लिया। अशोक पाल, जो अनिल अंबानी समूह के विशेष सहयोगी माने जाते हैं, दिल्ली कार्यालय में hours लंबी पूछताछ के बाद हिरासत में लिए गए। उनका नाम करीब ₹68 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी मामले और ₹17,000 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सामने आया है।
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फर्जी बैंक गारंटी घोटाले का बड़ा खुलासा
ईडी के अनुसार, अशोक पाल ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) को ₹68.2 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी दी थी, जो रिलायंस पावर की सहयोगी कंपनियों के नाम पर बनाई गई थी। इस घोटाले के पीछे ओडिशा स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड का नाम सामने आया है, जिसे फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से नियुक्त किया गया था। एजेंसी जांच में पाया गया कि इस कंपनी ने बैंक गारंटी जारी करने के बदले आठ प्रतिशत कमीशन लिया था, और दस्तावेजों को विश्वसनीय दिखाने के लिए फर्जी ईमेल डोमेन का इस्तेमाल किया गया।
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रेड और पूछताछ से जुड़े अहम तथ्य
इस मामले पर कार्रवाई के दौरान ईडी ने मुंबई में 35 जगहों पर छापेमारी की, जिसमें 50 कंपनियां और 25 व्यक्ति की भूमिका पर जांच हुई। अनिल अंबानी समूह से जुड़े जून-जुलाई महीने में कई बार ईडी ने दस्तावेज जब्त किए, डिजिटल रिकॉर्ड्स खंगाले और कई अधिकारियों से पूछताछ की। रिलायंस पावर के अंदरूनी वित्तीय मोडस ऑपरेंडी को समझने के लिए ग्रांट थॉर्नटन जैसी अंतरराष्ट्रीय ऑडिट एजेंसी ने गहन ऑडिट किया, जिसमें भारी पैमाने पर फंड डायवर्ज़न और गलत लेंडिंग पॉलिसी के उल्लघंन का पता चला।
अनिल अंबानी और ग्रुप कंपनियों पर फोकस
ईडी की रिपोर्टों के अनुसार, अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह की कंपनियों पर करीब ₹17,000 करोड़ के लोन फ्रॉड, फंड ट्रान्सफर, और सर्कुलर लेंडिंग जैसी गतिविधियों को लेकर लगातार जांच जारी है। इस मामले में यस बैंक व अन्य वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो रही है। वर्तमान में अनिल अंबानी को भी जांच के लिए तलब किया गया है, और उनके खिलाफ बैंक खातों को “फ्रॉड” घोषित किया गया है।