इस वर्ष चांदी में 43% की शानदार तेजी आई है, जिसने निवेशकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. वर्ष की शुरुआत में चांदी $28.92 प्रति औंस थी, और सितंबर तक यह $41.38 को पार कर गई—यह पिछले दस वर्षों के उच्चतम स्तर पर है. भारतीय बाजार में चांदी ₹1,31,900 प्रति किलो बिक रही है, जो वर्ष के दौरान लगातार बढ़ती मांग और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के साथ जुड़ी है.
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सोने ने भी दर्ज की जोरदार बढ़त
वर्ष 2025 के दौरान सोना भी 37% बढ़ा, और निवेशकों के लिए यह पारंपरिक सुरक्षित निवेश माना जाता है. फरवरी में सोने की कीमत ₹86,360 प्रति 10 ग्राम रही, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह $2,942.70 प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा. भारी खरीदी और वैश्विक अनिश्चितताओं की वजह से सोने में भी तेजी बनी हुई है, लेकिन चांदी की रफ्तार इससे तेज रही है.
निवेशकों की चांदी में बढ़ती रुचि
चांदी में अप्रत्याशित उछाल के चलते निवेशकों का रुझान तेजी से इसमें बढ़ा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, चांदी का मांग-सप्लाई का संतुलन कई वर्षों से बिगड़ा हुआ है, जिसमें इंडस्ट्रियल डिमांड (जैसे सोलर, ईवी, इलेक्ट्रॉनिक्स) सबसे बड़े कारणों में से है. सिल्वर ETF जैसे फंड्स ने निवेशकों को सरल और पारदर्शी निवेश का विकल्प मुहैया कराया है, जिससे बाजार में भागीदारी और रुचि बढ़ी है
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विशेषज्ञों की चेतावनी और सावधानी
हालांकि चांदी की तेजी आकर्षक दिख रही है, लेकिन बाजार विशेषज्ञ निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं. चांदी का भाव सोने की तुलना में अधिक अस्थिर (वोलेटाइल) होता है, जिससे एक छोटे बदलाव में भी भाव तेज गिर सकते हैं या तेजी से बढ़ सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि चांदी दीर्घकालिक पोर्टफोलियो में विविधता के लिए अच्छी है लेकिन सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की तुलना में इसे कम महत्व दिया जाता है. निवेश करते वक्त जोखिम प्रोफाइल समझना जरूरी है—और जल्दबाजी में बिना रिसर्च के निवेश करना नुकसानदायक भी हो सकता है