उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने बैंकिंग व्यवस्था और आम लोगों के भरोसे को झकझोर दिया है। यहां एक व्यक्ति ने अपने व्यवसाय के लिए 22 कैरेट सोना बैंक में गिरवी रखा था, लेकिन एक साल बाद बैंक ने जब सूचना दी तो पता चला कि वह सोना अब ‘जीरो कैरेट’ का हो गया है। यह खबर सुनकर सोना मालिक हैरान रह गया।
17 लाख का लोन, एक साल में सोना शून्य
जौनपुर के हुसैनाबाद निवासी विक्रांत सिंह ने अपने व्यापार के विस्तार के लिए यूनियन बैंक की कजगांव शाखा से गोल्ड लोन लिया था। बैंक के अप्रेजर ने उनके सोने की शुद्धता जांचकर उसे 22 कैरेट प्रमाणित किया और इसी आधार पर विक्रांत को 17 लाख रुपये का लोन दिया गया। विक्रांत ने बैंक की रिपोर्ट पर भरोसा कर अपना सोना बैंक में गिरवी रख दिया।
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बैंक की सूचना और ग्राहक की हैरानी
एक साल बाद जब विक्रांत सिंह बैंक पहुंचे, तो बैंक ने उन्हें बताया कि उनका गिरवी रखा गया सोना अब ‘जीरो कैरेट’ का हो गया है। यह सुनकर विक्रांत हैरान रह गए और उन्होंने बैंक अधिकारियों से जवाब मांगा कि आखिर बैंक की तिजोरी में बंद सोना अपनी शुद्धता कैसे खो सकता है।

अदालत में मामला पहुंचा
मामला जब अदालत पहुंचा तो मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इसे चौंकाने वाला करार दिया। अदालत ने कहा कि बैंक के कब्जे में रहे सोने का ‘जीरो कैरेट’ हो जाना गंभीर सवाल खड़ा करता है। कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि पांच बैंक अधिकारियों और एक ज्वेलर के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और कूटरचित दस्तावेज बनाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की जाए।
गोल्ड लोन की नियम
गोल्ड लोन के लिए बैंक आमतौर पर 22 कैरेट सोने को मानक मानते हैं। ग्राहक जब सोना गिरवी रखते हैं, तो उसकी शुद्धता, वजन और कीमत का पूरा विवरण बैंक के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। बैंक अपने पास रखे सोने की सुरक्षा का भरोसा देते हैं और उसे बीमाकृत तिजोरियों में रखते हैं। ऐसे में एक साल में सोने की शुद्धता पूरी तरह खत्म हो जाना असंभव माना जाता है।
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
इससे पहले मध्य प्रदेश के मैहर जिले में भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां बैंक में गिरवी रखा गया 22 कैरेट सोना एक साल बाद चांदी की चूड़ियों में बदल गया था। ऐसे मामलों में बैंक की जिम्मेदारी और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते रहे हैं।
सोने की शुद्धता में हेराफेरी
जौनपुर के इस मामले ने बैंकिंग व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अदालत के आदेश के बाद पुलिस जांच से ही यह साफ हो सकेगा कि गलती कहां हुई। क्या बैंक अधिकारियों और ज्वेलर की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा हुआ, या फिर कोई तकनीकी चूक हुई?
आम जनता के लिए चेतावनी
विशेषज्ञों का कहना है कि गोल्ड लोन लेते समय ग्राहकों को अपने सोने की शुद्धता, वजन और बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट की कॉपी जरूर रखनी चाहिए। साथ ही, लोन अनुबंध की सभी शर्तें ध्यान से पढ़नी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में उनके पास ठोस सबूत हों।