Government officials scam in Madhya Pradesh-मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इन दिनों एक बड़ा प्रशासनिक भूचाल आया है। राज्य के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और आजीविका मिशन के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ लोकायुक्त ने जांच प्रकरण दर्ज किया है। इस जांच की नींव पूर्व विधायक पारस सकलेचा द्वारा दायर की गई शिकायत पर रखी गई, जिसमें आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने पोषण आहार और अन्य योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार किया है। आइए जानते हैं, इस पूरे घटनाक्रम की परत-दर-परत सच्चाई।
Government officials scam in Madhya Pradesh-शिकायत की जड़
शिकायत के अनुसार, वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच केवल आठ जिलों में लगभग 500 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ। यह आरोप सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि ऑडिटर जनरल द्वारा मार्च 2025 में विधानसभा में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में भी दर्ज है। रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि पोषण आहार योजना के वितरण, परिवहन और गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं, जिससे सरकारी धन का भारी दुरुपयोग हुआ।
Government officials scam in Madhya Pradesh-नियुक्तियों में मनमानी
सकलेचा का दावा है कि इकबाल सिंह बैंस ने अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2017 में ललित मोहन बेलवाल को वन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर बुलाकर आजीविका मिशन का सीईओ बना दिया। इसके बाद दोनों अधिकारियों ने मिलकर पोषण आहार बनाने वाली सातों फैक्ट्रियों का नियंत्रण एग्रो इंडस्ट्री कॉरपोरेशन से हटाकर आजीविका मिशन को दिला दिया। यह बदलाव सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि योजनाओं के संचालन में भी बड़ा प्रभाव डालने वाला था।
Government officials scam in Madhya Pradesh-सत्ता परिवर्तन और फैसलों की पलटबाज़ी
दिसंबर 2018 में जब कमलनाथ सरकार बनी, तो आजीविका मिशन में हुए घोटाले को देखते हुए सातों फैक्ट्रियों का कार्य दोबारा एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन को सौंप दिया गया। लेकिन मार्च 2020 में शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनने के अगले ही दिन बैंस को मुख्य सचिव बना दिया गया। इसके बाद जून 2020 में, सेवानिवृत्त हो चुके बेलवाल को एक साल के लिए फिर से आजीविका मिशन का सीईओ नियुक्त कर दिया गया, जबकि इस पर तत्कालीन एसीएस मनोज श्रीवास्तव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया ने आपत्ति जताई थी।
Government officials scam in Madhya Pradesh- भ्रष्टाचार की पुष्टि
मार्च 2025 में विधानसभा के पटल पर रखी गई ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में 2018-19 से 2021-22 के दौरान आठ जिलों की जांच में 481.79 करोड़ रुपये के घोटाले की पुष्टि हुई। रिपोर्ट के अनुसार, पोषण आहार के वितरण, परिवहन और गुणवत्ता के हर स्तर पर घोर अनियमितताएं थीं। महिला बाल विकास विभाग ने भी स्वीकार किया कि इस घोटाले के संबंध में 73 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस, 36 के खिलाफ विभागीय जांच, 11 के विरुद्ध दंडादेश, 9 वरिष्ठ अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों के प्रकरण शासन को भेजे गए।
Government officials scam in Madhya Pradesh-जांच में बाधाएं:
सकलेचा का आरोप है कि बेलवाल के विरुद्ध कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शिकायतें कीं, लेकिन लोकायुक्त ने उन्हीं बेलवाल को इन शिकायतों की जांच सौंप दी और अंततः क्लीनचिट दे दी गई। आईएएस नेहा मरव्या की जांच रिपोर्ट में भी यह सामने आया कि बेलवाल के खिलाफ शिकायतों की जांच खुद बेलवाल द्वारा ही की गई, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठे।
Government officials scam in Madhya Pradesh-ईमानदार अधिकारियों की उपेक्षा और साइडलाइनिंग
सकलेचा का यह भी दावा है कि बैंस के कार्यकाल में 26 आईएएस अधिकारियों को सिर्फ इसलिए साइडलाइन कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं किया। महिला बाल विकास विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी अशोक शाह, जो जनवरी 2023 में सेवानिवृत्त हुए, उन्हें भी करोड़ों की आर्थिक अनियमितता को दबाने के पुरस्कार स्वरूप एमपी वर्क क्वालिटी कंट्रोल का डायरेक्टर जनरल बना दिया गया। इसके लिए 50 साल पुरानी संस्था सीटीई को खत्म कर नई संस्था बनाई गई।
Government officials scam in Madhya Pradesh-घोटाले की व्यापकता: आठ जिलों तक ही सीमित नहीं
ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट के अनुसार, आठ जिलों में ही लगभग 500 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है। यदि राज्य के सभी 52 जिलों की जांच की जाए, तो यह घोटाला कई गुना बड़ा हो सकता है। यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि योजनाबद्ध तरीके से सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला है।