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breaking news update notifications- स्पेस स्टेशन से वीडियो कॉल के लिए सैटेलाइट नेटवर्क का इस्तेमाल, मोबाइल नेटवर्क वहां नहीं चलता

breaking news update notifications- अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से धरती पर वीडियो कॉल मोबाइल नेटवर्क से नहीं, बल्कि खास सैटेलाइट नेटवर्क के जरिए होती है। ISS से सिग्नल पहले Tracking and Data Relay Satellite (TDRS) तक पहुंचते हैं, फिर ग्राउंड स्टेशन और इंटरनेट के माध्यम से मिशन कंट्रोल या परिवार तक पहुंचते हैं। NASA का SCaN सिस्टम इस प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो वेव और एन्क्रिप्शन तकनीक से संचार सुरक्षित और तेज होता है। इस तकनीक की मदद से अंतरिक्ष यात्री आसानी से धरती से संपर्क कर पाते हैं, जो विज्ञान की बड़ी उपलब्धि है।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) धरती से करीब 400 किलोमीटर ऊपर हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है। वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्री अपने परिवार, वैज्ञानिकों और मिशन कंट्रोल से नियमित रूप से वीडियो कॉल और अन्य संचार कर सकते हैं। यह सब विज्ञान की अद्भुत प्रगति का परिणाम है, क्योंकि अंतरिक्ष में न तो कोई मोबाइल टावर होता है, न इंटरनेट के तार, और न ही पारंपरिक मोबाइल नेटवर्क काम करता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अंतरिक्ष से धरती पर वीडियो कॉल कैसे संभव हो पाती है।

breaking news update notifications- मोबाइल नेटवर्क नहीं, सैटेलाइट नेटवर्क करता है कमाल

स्पेस स्टेशन पर किसी भी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क नहीं चलता। वहां संचार के लिए विशेष सैटेलाइट नेटवर्क का उपयोग किया जाता है। NASA और अन्य स्पेस एजेंसियों ने पूरी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में विशाल एंटीना लगाए हैं, जिनकी ऊंचाई लगभग 230 फीट तक होती है। ये एंटीना और सैटेलाइट मिलकर एक जटिल नेटवर्क बनाते हैं, जो स्पेस स्टेशन और धरती के बीच ब्रिज का काम करते हैं। यही नेटवर्क अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर वीडियो कॉल, डेटा ट्रांसफर और अन्य जरूरी संचार की सुविधा देता है।

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breaking news update notifications- स्पेस कम्युनिकेशन एंड नेविगेशन (SCaN) सिस्टम की भूमिका

NASA का स्पेस कम्युनिकेशन एंड नेविगेशन (SCaN) सिस्टम इस पूरी प्रक्रिया की रीढ़ है। SCaN सिस्टम की मदद से ISS से भेजे गए सिग्नल पहले रिले सैटेलाइट (TDRS—Tracking and Data Relay Satellite) तक पहुंचते हैं। ये सैटेलाइट सिग्नल को धरती पर मौजूद विशाल एंटीना तक भेजते हैं। वहां से यह डेटा इंटरनेट, ऑप्टिकल फाइबर और रेडियो वेव की मदद से मिशन कंट्रोल या संबंधित व्यक्ति तक पहुंचता है। यही प्रक्रिया दोनों दिशाओं में चलती है—यानि धरती से अंतरिक्ष और अंतरिक्ष से धरती तक।

breaking news update notifications- रेडियो वेव और हाई फ्रीक्वेंसी तकनीक

स्पेस स्टेशन और सैटेलाइट के बीच कम्युनिकेशन के लिए हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो वेव का इस्तेमाल होता है। इन वेव्स के जरिए 200 करोड़ मील तक भी सिग्नल भेजे और रिसीव किए जा सकते हैं। स्पेस स्टेशन जब भी धरती के ऊपर से गुजरता है, तो ये सैटेलाइट और एंटीना उससे संपर्क बनाए रखते हैं। इस वजह से अंतरिक्ष यात्री कभी भी मिशन कंट्रोल से संपर्क कर सकते हैं, भले ही वे पृथ्वी के किस हिस्से के ऊपर हों।

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breaking news update notifications- वीडियो कॉल की प्रक्रिया

जब कोई अंतरिक्ष यात्री वीडियो कॉल करता है, तो उसका सिग्नल सबसे पहले स्पेस स्टेशन से TDRS सैटेलाइट तक पहुंचता है। वहां से यह सिग्नल धरती पर मौजूद ग्राउंड स्टेशन तक आता है। इसके बाद इंटरनेट या अन्य डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से वह वीडियो कॉल संबंधित व्यक्ति तक पहुंचती है। इसी तरह, धरती से भी स्पेस स्टेशन पर वीडियो कॉल या संदेश भेजे जा सकते हैं। यह पूरी प्रक्रिया महज कुछ सेकंड में पूरी हो जाती है, हालांकि कभी-कभी सिग्नल में हल्की-फुल्की देरी भी हो सकती है।

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breaking news update notifications- सुरक्षा और डेटा की गुणवत्ता

स्पेस कम्युनिकेशन में सुरक्षा और डेटा की गुणवत्ता बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए सभी सिग्नल एन्क्रिप्टेड होते हैं और विशेष प्रोटोकॉल के तहत भेजे जाते हैं। इससे न केवल संचार सुरक्षित रहता है, बल्कि वैज्ञानिक डेटा और मिशन से जुड़ी संवेदनशील जानकारी भी सुरक्षित रहती है। NASA और अन्य स्पेस एजेंसियां लगातार इस तकनीक को और बेहतर बना रही हैं ताकि भविष्य में और भी तेज और सुरक्षित कम्युनिकेशन संभव हो सके।

Tiwari Shivam

शिवम तिवारी को ब्लॉगिंग का चार वर्ष का अनुभव है कंटेंट राइटिंग के क्षेत्र में उन्होंने एक व्यापक समझ विकसित की है वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व दुनिया के नामी स्टार्टप्स के लिये भी काम करते हैं वह गैजेट्स ,ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, स्पेस रिसर्च ,इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ,कॉर्पोरेट सेक्टर तथा अन्य विषयों के लेखन में व्यापक योग्यता और अनुभव रखते हैं|

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