Karnataka rape news-कर्नाटक में हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। धर्मस्थल मंदिर प्रशासन के साथ काम कर चुके एक पूर्व सफाईकर्मी ने दावा किया है कि उसने करीब 16 वर्षों तक बलात्कार पीड़िताओं के शवों को जलाकर ठिकाने लगाया है। इस खुलासे के बाद पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया है। पूर्व सफाईकर्मी ने अपराधबोध और पीड़ितों को न्याय दिलाने की इच्छा के चलते यह राज उजागर किया है। उसने बताया कि वह लंबे समय तक इस अपराध में शामिल रहा, लेकिन अब वह आगे आकर सच्चाई बताना चाहता है।
बेंगलुरु में महिला की हत्या और शव का कचरा ट्रक में मिलना
इसी बीच, बेंगलुरु से भी एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। हाल ही में शहर के चिकपेट इलाके के पास एक कचरा ट्रक में महिला का शव मिला, जिसके पैर गर्दन से बंधे हुए थे। जांच में पता चला कि मृतका आशा (40) की हत्या उसके लिव-इन पार्टनर शमशुद्दीन (33) ने की थी। दोनों पिछले डेढ़ साल से साथ रह रहे थे। शराब के नशे में हुए झगड़े के बाद आरोपी ने गला घोंटकर महिला की हत्या कर दी और शव को कचरा ट्रक में डालकर ठिकाने लगाने की कोशिश की। पुलिस ने आरोपी को 20 घंटों के भीतर गिरफ्तार कर लिया।
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रेप के बाद हत्या और शवों के साथ बर्बरता के बढ़ते मामले
बेंगलुरु में महिला अपराधों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें रेप के बाद हत्या कर शवों को सुनसान जगह या कचरा ट्रक में फेंक दिया गया। हाल ही में एक और मामला सामने आया, जिसमें 25-30 वर्षीया महिला का शव बीबीएमपी कचरा ट्रक में मिला। प्रारंभिक जांच में पुलिस को आशंका है कि हत्या से पहले महिला का यौन शोषण किया गया था। पुलिस सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों की तलाश कर रही है।

शवों के साथ अपराध पर कर्नाटक हाईकोर्ट की सख्ती
इन घटनाओं के मद्देनजर कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि सरकारी और निजी अस्पतालों के मुर्दाघरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि शवों के साथ होने वाले अपराधों को रोका जा सके। कोर्ट ने यह भी माना कि भारत में नेक्रोफिलिया (शव से रेप) के खिलाफ कोई स्पष्ट कानून नहीं है। अदालत ने केंद्र सरकार से मांग की है कि ऐसे अपराधों को दंडनीय बनाने के लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन किया जाए। कई मामलों में आरोपी हत्या के लिए सजा पा जाते हैं, लेकिन शव के साथ रेप के लिए कानून न होने के कारण बरी हो जाते हैं।
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समाज में डर और कानून व्यवस्था पर सवाल
लगातार सामने आ रही इन घटनाओं ने समाज में डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है। पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किस तरह अपराधी इतने लंबे समय तक बचते रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि कानून में सख्ती और निगरानी व्यवस्था को मजबूत किए बिना ऐसे अपराधों पर काबू पाना मुश्किल है। वहीं, पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है।