शहडोल जिले में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए चौपाल का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में जिले के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न विभागों के कर्मचारी, पंचायत प्रतिनिधि और ग्रामीण शामिल हुए। चौपाल का उद्देश्य था लोगों को जल संरक्षण के महत्व के प्रति जागरूक करना और वर्षा जल संचयन, तालाबों की सफाई, और जल स्रोतों के संरक्षण पर चर्चा करना। कार्यक्रम की शुरुआत उत्साह के साथ हुई और अधिकारियों ने जल संकट से निपटने के लिए कई सुझाव भी दिए।
MP news- अफसरों की दावत बनी सुर्खियां
चौपाल के दौरान अधिकारियों के लिए विशेष नाश्ते और जलपान की व्यवस्था की गई थी। सूत्रों के अनुसार, कार्यक्रम स्थल पर 13 किलो ड्राई फ्रूट्स, 6 लीटर दूध और 5 किलो शक्कर का इंतजाम किया गया। इन सामग्रियों के अलावा अन्य नाश्ते और पेय पदार्थ भी परोसे गए। महज एक घंटे में इन सभी वस्तुओं का सेवन कर लिया गया। जब बिल सामने आया तो उसमें कुल खर्च 19,000 रुपये दर्शाया गया था। यह राशि सरकारी फंड से चुकाई गई।

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सोशल मीडिया पर वायरल हुआ बिल
कार्यक्रम के बाद किसी ने इस दावत का बिल सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। देखते ही देखते यह बिल वायरल हो गया और लोगों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। कई यूजर्स ने सवाल उठाया कि जल संरक्षण जैसे गंभीर विषय पर चर्चा के नाम पर अफसरों ने सरकारी पैसे से इतनी महंगी दावत क्यों उड़ाई? कुछ लोगों ने तंज कसते हुए लिखा कि “जल बचाओ के नाम पर ड्राई फ्रूट्स की बारिश हो गई।” कई स्थानीय पत्रकारों ने भी इस मुद्दे को उठाया और प्रशासन से जवाब मांगा।
प्रशासन की सफाई और जांच के आदेश
बिल वायरल होने के बाद शहडोल जिला प्रशासन की ओर से सफाई दी गई कि यह खर्च कार्यक्रम की आवश्यकताओं के तहत किया गया था। अधिकारियों का कहना है कि बड़ी संख्या में लोगों के लिए जलपान की व्यवस्था करना जरूरी था। हालांकि, सोशल मीडिया पर बढ़ते विवाद को देखते हुए कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रशासन ने कहा है कि यदि किसी स्तर पर अनावश्यक या फिजूलखर्ची पाई जाती है तो संबंधित कर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी।