भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला समेत चार सदस्यीय दल ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से अपनी 18 दिन की ऐतिहासिक यात्रा पूरी करने के बाद सोमवार को पृथ्वी के लिए प्रस्थान किया। इस दल में शुक्ला के साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं। उनकी वापसी के लिए रविवार को ISS पर विशेष विदाई समारोह भी आयोजित किया गया, जिसमें शुक्ला ने अंतरिक्ष से भारत के आत्मविश्वास और वैज्ञानिक ताकत की झलक साझा की।
कैलिफोर्निया तट के पास होगा स्प्लैशडाउन
स्पेसएक्स के ‘ड्रैगन’ यान में सवार दल ने सोमवार शाम भारतीय समयानुसार 4:35 बजे ISS से सफलतापूर्वक अनडॉकिंग की। अब उनका स्पेसक्राफ्ट धरती की ओर करीब 22 घंटे की यात्रा पूरी करेगा और मंगलवार, 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे (भारतीय समयानुसार) अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में सुरक्षित स्प्लैशडाउन करेगा। यह प्रक्रिया अंतरिक्ष मिशन की सबसे चुनौतीपूर्ण और अहम कड़ी मानी जाती है, क्योंकि सुरक्षित लैंडिंग के लिए मिशन नियंत्रण और समुद्री बचाव दल पूरी तरह मुस्तैद रहते हैं।
वैज्ञानिक प्रयोगों का वैश्विक महत्व
शुक्ला ने अपने मिशन के दौरान अंतरिक्ष में विज्ञान, जीवन विज्ञान तथा कृषि से जुड़े 60 से अधिक महत्वपूर्ण प्रयोग सफलतापूर्वक पूरे किए। इनमें भारतीय संस्थानों—जैसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आईआईएससी बेंगलुरु और आईआईटी—द्वारा तैयार की गई स्वदेशी किट और तकनीक का इस्तेमाल हुआ। शून्य गुरुत्वाकर्षण में पौधों की वृद्धि, मांसपेशी और हड्डियों पर पड़ने वाले प्रभाव, माइक्रोएल्गी पर आधारित पोषण स्रोत और पानी के व्यवहार पर हुए प्रयोग न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के लिए भी बेहद अहम हैं।
पुनर्वास प्रक्रिया: धरती के गुरुत्वाकर्षण में फिर ढलना
धरती पर लौटने के बाद सभी अंतरिक्ष यात्रियों को कम से कम सात दिन तक पुनर्वास (rehabilitation) प्रक्रिया से गुजरना होगा। 18 दिन तक भारहीनता (microgravity) में रहने के कारण शरीर के कई अंगों और मांसपेशियों को धरती के सामान्य गुरुत्वाकर्षण के अनुसार फिर से ढलने में समय लगता है। यह पूरी पुनर्वास प्रक्रिया अंतरिक्ष चिकित्सा विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की निगरानी में होगी, ताकि चालक दल सुरक्षित ढंग से आम अनुभवों में लौट सके।
भारत की नई उपलब्धि: गगनयान मिशन की दिशा में क्रांतिकारी कदम
शुभांशु शुक्ला, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। उनकी वापसी न सिर्फ भारत के स्पेस प्रोग्राम के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि 2027 में प्रस्तावित गगनयान मिशन के वास्ते भी मार्गदर्शक मानी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की घोषणा के बाद, यह मिशन देश के लिए महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष यात्रा का नया अध्याय साबित हुआ है।