उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने की दिशा में नई पहल शुरू कर रही है। ग्राम-ऊर्जा मॉडल के तहत शुरू हो रही इस योजना का मकसद है – गांवों को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और ग्रामीण परिवारों की रसोई गैस पर निर्भरता को कम करना। अधिकारियों के मुताबिक, इस योजना के जरिये घरेलू रसोई में एलपीजी की खपत में लगभग 70% तक की गिरावट आयेगी। इससे जहां ग्रामीण परिवारों को आर्थिक राहत मिलेगी, वहीं वातावरण को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का होगा विस्तार
इस योजना के तहत गांवों में सौर ऊर्जा, बायोगैस और अन्य स्थानीय स्त्रोतों के बेहतर संयोजन पर जोर दिया जा रहा है। ग्राम पंचायत स्तर पर छोटे बायोगैस प्लांट और सामूहिक सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जिससे गांवों की घरेलू ईंधन ज़रूरतें पूरी हो सकें। पंचायतों को इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए विशेष बजट आवंटन किया गया है। ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं, ताकि वे इन तकनीकों को आत्मसात कर सकें और स्वरोजगार के मौके बढ़ें।
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आर्थिक बचत और पर्यावरण संरक्षण दोनों को मिलेगा बढ़ावा
विशेषज्ञों के अनुसार, एलपीजी की जगह स्थानीय ऊर्जा स्त्रोतों का उपयोग ग्रामीण परिवारों को सालाना हज़ारों रुपये की बचत देगा। बैंकिंग और विकास एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि इससे माइक्रो-लेवल पर आर्थिक समृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित होगी। अतिरिक्त लाभ की बात करें, तो योजना के क्रियान्वयन से ग्रामीण क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन कम होगा, जिससे हरित गृह गैसों के स्तर पर भी असर दिखेगा।
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सरकार का नियंत्रण और निगरानी तंत्र रहेगा सशक्त
योजना के सुचारू और पारदर्शी संचालन के लिए राज्य सरकार ने एक विशेष नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) गठित किया है, जो पंचायतवार लक्ष्य की पूर्ति की निगरानी करेगा। हर सप्ताह योजनागत प्रगति की रिपोर्ट ऑनलाइन अपडेट की जाएगी। अधिकारियों और विशेषज्ञों की टीम समय-समय पर फील्ड विजिट कर ग्रामीण जनता की समस्याओं और सुझावों को भी शामिल करेगी।