भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सेक्टर में वर्तमान समय में एक बड़े पैमाने पर छंटनी की प्रक्रिया चल रही है। इस बीच, टीसीएस (Tata Consultancy Services) ने सितंबर तिमाही के नतीजों में बताया कि उसने पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत अपने कुल कार्यबल का लगभग 3.2% हिस्सा, यानी करीब 19,755 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इनमें से आधे करीब 6,000 कर्मचारी मध्य और वरिष्ठ स्तर पर थे, जिन्हें कंपनी नई तकनीकीय आवश्यकताओं के अनुसार पुनः नियुक्त नहीं कर पाई। http://Xiaomi का ये दोनों साइड डिस्प्ले वाला फ़ोन , देखें फीचर्स
AI और वैश्विक आर्थिक दबावों का प्रभाव
IT कंपनियों में छंटनी का मुख्य कारण कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उदय और इसके साथ ही वैश्विक आर्थिक दबाव हैं। AI की बढ़ती भूमिका ने कई ऐसे कार्यों को स्वचालित कर दिया है जो पहले लोगों द्वारा निभाए जाते थे, जिससे कंपनियों को कम कर्मचारियों की आवश्यकता महसूस हो रही है। इसके अलावा, अमेरिका के साथ चल रहे ट्रेड तनाव के कारण भारतीय IT उद्योग पर दबाव बढ़ा है, जो एक्सपोर्ट ऑर्डर्स और बजट को प्रभावित कर रहा है। इस वजह से कंपनियां अपनी लागत घटाने और दक्षता बढ़ाने की दिशा में तेजी से कदम उठा रही हैं।
अन्य प्रमुख IT कंपनियों के छंटनी प्रदर्शन
टीसीएस के अलावा, अन्य भारतीय IT दिग्गज जैसे इन्फोसिस और विप्रो ने भी विस्तृत छंटनी की है। इन्फोसिस ने पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 25,994 कर्मचारियों को निकाला जबकि विप्रो ने 24,516 पदों में कटौती की। टेक महिंद्रा ने भी अपने कर्मचारियों में 10,669 की कमी की है ताकि वह अपनी सेवाओं को AI और क्लाउड पर केंद्रित कर सके। इन छंटनीयों के पीछे कंपनियों का उद्देश्य लागत को नियंत्रित करना और तेजी से बदलते तकनीकी माहौल के अनुसार खुद को ढालना है।