powerful shiv mantra while entering any temple- मंदिर में पूजा-पाठ करने के कई नियम हमारे शास्त्रों में वर्णित हैं, खासकर शिव पुराण में। यह पुराण हमें बताता है कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले पंचाक्षर मंत्र नम: शिवाय का उच्चारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मंत्र के उच्चारण के बाद ही मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करना चाहिए। शिव पुराण में कहा गया है कि इस मंत्र के प्रभाव से पूजा के दौरान हुई कोई भी भूल-चूक भगवान शिव माफ कर देते हैं और इससे मोक्ष की प्राप्ति भी संभव होती है। साथ ही मंदिर में अनुशासन बनाए रखना भी जरूरी है क्योंकि इससे मन का स्थिरता और शांति बनी रहती है, जिससे पूजा का फल भी पूरी तरह से आता है।
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पूजा के दौरान सात्विक भोजन और व्रत का महत्व
शिव पुराण में पूजा की सफलता के लिए भक्तों को सात्विक भोजन ग्रहण करने की सलाह दी गई है। तामसिक या गरिष्ठ भोजन अर्थात् जो देर से पचने वाला हो, उसे खाकर कथा या पूजा में भाग लेना उचित नहीं माना गया है। कथा प्रारंभ करने से पहले व्रत और अनुष्ठान की तैयारियाँ पूरी कर लेनी चाहिए, जैसे बाल कटवाना, नाखून काटना आदि कार्य नहीं करना। पूजा के दौरान संपूर्ण श्रद्धा और शुद्धता बनाए रखना आवश्यक होता है। इससे पूजा की विधि सही प्रकार से संपन्न होती है और भक्त को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
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मंदिर में पूजा के विशेष नियम एवं फूलों का महत्व
शिव पुराण में विस्तृत रूप से बताया गया है कि शिवजी की पूजा के लिए किस प्रकार के फूल और कितनी संख्या में चढ़ाना चाहिए। विशिष्ट प्रकार के फूल जैसे कमल, जवा पुष्प, आक के फूल, कनेर, हरसिंगार आदि का चयन पूजा में किया जाता है, जिनके चढ़ाने से विभिन्न प्रकार के लाभ मिलते हैं। उदाहरण स्वरूप, कनेर पुष्प रोगों को दूर करते हैं और जवा-पुष्प शत्रु का नाश करते हैं। पूजा में चावल का भी महत्वपूर्ण स्थान है, जो लक्ष्मी की वृद्धि का कारक माना जाता है। इसके अलावा, पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान भी है जो पापों के नाश का कारण बनता है। पूजा में मंत्रों का सही उच्चारण और सामग्री का विधिपूर्वक प्रयोग बेहद आवश्यक है।