12 जून को हुए एयर इंडिया के विमान हादसे की जांच में एक नया मोड़ आया है। जांच एजेंसियों को विमान के कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से पायलटों के बीच हुई आखिरी बातचीत के ऑडियो क्लिप मिले हैं। इन रिकॉर्डिंग्स में पायलटों के बीच तनाव और तकनीकी गड़बड़ी के दौरान लिए गए फैसलों की स्पष्ट झलक मिलती है। सूत्रों के अनुसार, हादसे के ठीक पहले पायलटों के बीच हुई बातचीत अब जांच का अहम हिस्सा बन गई है।
“मैंने इंजन ऑफ नहीं किया”—पायलट का बयान
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे के समय विमान के दोनों पायलटों के बीच इंजन को लेकर असमंजस की स्थिति थी। रिकॉर्डिंग में एक पायलट स्पष्ट रूप से कहते सुना गया, “मैंने इंजन ऑफ नहीं किया।” इस बयान से यह संकेत मिलता है कि इंजन बंद होने की घटना अनजाने में नहीं, बल्कि किसी तकनीकी खामी या सिस्टम फेल्योर के कारण हुई होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की स्थिति में पायलटों की त्वरित प्रतिक्रिया और आपसी तालमेल बेहद जरूरी होता है।
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तकनीकी खराबी या मानवीय भूल? जांच जारी
एयर इंडिया के इस हादसे में तकनीकी खराबी और मानवीय भूल दोनों ही पहलुओं की जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि विमान के इंजन में अचानक प्रेशर ड्रॉप हुआ था, जिससे पावर लॉस की स्थिति बनी। हालांकि, पायलटों ने आपातकालीन प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विमान को सुरक्षित लैंड कराने की भरपूर कोशिश की। डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) के अधिकारियों ने बताया कि ब्लैक बॉक्स और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की जांच से और भी अहम तथ्य सामने आ सकते हैं।
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यात्रियों की जान बचाने में पायलटों की भूमिका
हादसे के दौरान विमान में कुल 178 यात्री और क्रू मेंबर सवार थे। पायलटों की सूझबूझ और त्वरित निर्णय के चलते किसी भी यात्री की जान नहीं गई, हालांकि कुछ यात्रियों को मामूली चोटें आईं। एयर इंडिया प्रबंधन ने पायलटों की त्वरित प्रतिक्रिया की सराहना की है और कहा है कि ऐसे हालात में प्रशिक्षित पायलटों की भूमिका सबसे अहम होती है। यात्रियों ने भी पायलटों के साहस और सूझबूझ की तारीफ की है।