Akhilesh Yadav mosque meeting-समाजवादी पार्टी ने मस्जिद में किया मीटिंग,तस्वीरों को लेकर विवाद!

समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिनमें वे अपनी पत्नी डिंपल यादव, रामपुर के सांसद मौलाना मोहिबुल्ला नदवी और अन्य पार्टी सांसदों के साथ संसद मार्ग स्थित मस्जिद के अंदर बैठे नजर आ रहे हैं। ये तस्वीरें तेजी से वायरल हुईं और राजनीतिक तथा सामाजिक बहस का विषय बनीं।

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने इन तस्वीरों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि मस्जिद जैसे पवित्र स्थलों का राजनीतिक बैठकों के लिए इस्तेमाल इस्लामिक आस्थाओं के खिलाफ है। उन्होंने मांग की कि समाजवादी पार्टी के नेताओं को इस पर माफी मांगनी चाहिए और धार्मिक स्थानों का सम्मान करना चाहिए।

तस्वीरों के स्थान को लेकर विवाद

धर्मेंद्र यादव ने बताया कि यह बैठक रामपुर सांसद मौलाना मोहिबुल्ला नदवी के दिल्ली आवास पर हुई थी, जबकि वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने इसे संसद मार्ग मस्जिद बताते हुए बताया कि तस्वीरों में मस्जिद की पहचान की जा सकती है। उन्होंने ऐसा कहकर स्थिति सही करने पर जोर दिया।

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मस्जिद में राजनीतिक बैठक पर संवेदनशीलता

वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि मस्जिदें पूजा का स्थल हैं, न कि राजनीतिक चर्चा के लिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों का धार्मिक स्थलों का गलत इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत करता है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए।

सपा की ओर प्रतिक्रिया की अनुपस्थिति

अब तक समाजवादी पार्टी या इसके सांसदों की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान या स्पष्टीकरण नहीं आया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह तस्वीर सामाजिक उद्देश्य से डाली गई थीं, लेकिन विवाद बढ़ने के बाद पार्टी पर दबाव बढ़ गया है।

सोशल मीडिया पर बहस

सोशल मीडिया पर तस्वीरों को लेकर व्यापक चर्चा हुई। कई लोगों ने धार्मिक स्थलों की मर्यादा बनाए रखने की अपील की, जबकि अन्य ने नेताओं से ईमानदारी और पारदर्शिता की उम्मीद जताई। यह विवाद धार्मिक एवं राजनीतिक दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण रहा।

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धार्मिक स्थलों की गरिमा का सवाल

देश में धार्मिक स्थलों की पवित्रता को बना रखने का महत्व कई बार सामने आता रहा है। इस विवाद ने पुनः एक बार धार्मिक स्थलों के राजनीतिक उपयोग पर सवाल खड़ा किए हैं और धार्मिक समुदायों ने इस मामले को गंभीरता से लिया है।

वक्फ बोर्ड की मांग और सरकार की भूमिका

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने इस मामले की जांच करने और ऐसा दोबारा न हो, इसके लिए स्पष्ट नियम बनाने की मांग की है। साथ ही राजनीतिक दलों को धार्मिक स्थलों के उपयोग से सावधान रहने की सलाह दी गई है, ताकि धार्मिक भावनाओं का सम्मान बना रहे।

अल्पसंख्यक समुदाय की सतर्कता

मुस्लिम समुदाय व धार्मिक संगठनों ने प्रशासन से धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और सम्मान बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने की अपेक्षा की है। वे चाहते हैं कि भविष्य में धार्मिक स्थानों का राजनीतिक इस्तेमाल न हो।

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