बिहार में मतदाता सूची रिवीजन का काम तेजी से जारी है। इस प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची में मौजूद कई नामों की समीक्षा की जा रही है। चुनाव आयोग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार लगभग 52 लाख से अधिक वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की संभावना है। इनमें वे लोग शामिल हैं जो मृत हो चुके हैं, जो दूसरे जिलों या राज्यों में स्थानांतरित हो गए हैं, या जिनके नाम एक से अधिक जगह दर्ज हैं।
मृतकों के नामों की पहचान और हटाने की प्रक्रिया
मतदाता सूची से मृत व्यक्तियों के नाम हटाने को प्राथमिकता दी जा रही है। जिलों में अधिकारियों द्वारा रजिस्टर और अन्य रिकॉर्ड्स की जांच कर मृतकों की पहचान की जा रही है। इसके लिए राजस्व विभाग, अस्पतालों एवं मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाली एजेंसियों से सहयोग लिया जा रहा है। इस कदम से मतदाता सूची की पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जी वोटिंग की संभावना कम होगी।
दूसरी जगह शिफ्ट हुए मतदाताओं का सत्यापन
उन लोगों के नाम जिन्हें पता चला है कि वे दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं, उनकी भी जांच हो रही है। यदि कोई व्यक्ति अपने नए ठिकाने पर वोटर सूची में नाम दर्ज करा चुका है, तो पुरानी सूची से उनका नाम हटाया जाएगा। इसके लिए लोकल प्रशासन और वोटर सहायता केंद्रों के साथ समन्वय किया जा रहा है ताकि किसी को भी वोट डालने से वंचित न किया जाए।
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डुप्लीकेट नामांकन की रोकथाम
मतदाता सूची में कतिपय लोगों के नाम एक से अधिक जगह दर्ज होने के मामले सामने आए हैं। ऐसी डुप्लीकेट नामांकन की पहचान के लिए भी विस्तृत जांच की जा रही है। तकनीकी उपकरणों और बेसिक डेटा मिलान की मदद से डुप्लीकेट नामों को मिटाया जाएगा। चुनाव आयोग ने इसके लिए विशेष टीमों का गठन किया है जो विभिन्न स्तरों पर काम कर रही हैं।
मतदाता रजिस्टर की गुणवत्ता सुधारने के प्रयास
मतदाता सूची को साफ और सटीक बनाने के लिए कई तकनीकी और प्रशासनिक सुधार किए जा रहे हैं। डिजिटल रिकॉर्डिंग, आधार से जोड़ने और मैपिंग जैसी आधुनिक व्यवस्थाएं अपनाई जा रही हैं। इससे न केवल सूची की गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि भविष्य में संशोधनों की प्रक्रिया भी सुगम होगी। ये प्रयास चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को सशक्त करेगें।
मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अभियान
मतदाता सूची संशोधन के दौरान मतदाताओं को भी जागरूक किया जा रहा है। सूचना और जनसंपर्क विभाग ने विभिन्न माध्यमों से मतदाताओं को अपने नाम सत्यापित करने, अपने पते अपडेट कराने और डुप्लीकेट नामों की जांच कराने के लिए प्रेरित किया है। इसके तहत शिविर, ऑनलाइन पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर चलाए गए हैं।