यमन की राजधानी सना की जेल में बंद केरल की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया का जीवन अब सिर्फ दो दिनों के भीतर समाप्त हो सकता है। यमन की अदालत ने उन्हें 16 जुलाई को फांसी देने का आदेश जारी किया है। निमिषा को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, निमिषा ने मेहदी को नशीला पदार्थ देकर मार डाला और शव के टुकड़े कर पानी की टंकी में फेंक दिया था। गिरफ्तारी के बाद निमिषा ने हत्या की बात कबूल कर ली थी।
ब्लड मनी का विकल्प भी बंद
यमन के इस्लामी शरीया कानून के तहत, मृतक के परिवार की सहमति से ब्लड मनी यानी मुआवजा देकर दोषी को माफी मिल सकती है। हालांकि, तलाल मेहदी के परिवार ने ब्लड मनी लेने से इनकार कर दिया है। इसी वजह से निमिषा के लिए कानूनी राहत के सारे रास्ते लगभग बंद हो चुके हैं। यमन के राष्ट्रपति से दया याचिका भी अस्वीकार हो चुकी है।
भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट की कोशिशें
निमिषा को बचाने के लिए भारत सरकार और केरल सरकार ने कई बार हस्तक्षेप करने की कोशिश की है। केरल के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से तुरंत दखल देने की अपील की है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्र सरकार से यमनी प्रशासन से कूटनीतिक बातचीत करने की मांग की गई है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती।
हत्या की घटना और कानूनी प्रक्रिया
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निमिषा प्रिया ने यमन में क्लीनिक खोलने के लिए तलाल मेहदी को पार्टनर बनाया था। आरोप है कि मेहदी ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर खुद को निमिषा का पति घोषित कर दिया और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया। वर्षों तक शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के बाद, निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए मेहदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया, लेकिन ओवरडोज से उसकी मौत हो गई। शव को ठिकाने लगाने के प्रयास में निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया और 2020 में मौत की सजा सुनाई गई, जिसे बाद में बरकरार रखा गया।