कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने हाल ही में देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई के प्रति अपनी गहरी नाराजगी जाहिर की है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। उदित राज ने बिहार के मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले की सीजेआई द्वारा खुद न सुनने पर सोशल मीडिया पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अगर बीआर गवई ने इस मामले पर सक्रियता दिखाई होती, तो वे मिनी अंबेडकर बन सकते थे।
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विपक्षी दलों का विरोध और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
एसआईआर के मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल आरजेडी सहित आंदोलित हैं। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई चल रही है, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने सीधे हस्तक्षेप नहीं किया। उदित राज ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए मुख्य न्यायाधीश को इस मामले की सुनवाई खुद करनी चाहिए थी। अगर उन्होंने ऐसा कदम नहीं उठाया, तो उनका अंत भी बहुजन नेता मायावती की तरह निश्चित है।
दलित आन्दोलन और अम्बेडकर की विरासत
भूतपूर्व भाजपा सांसद उदित राज ने ये भी कहा कि जब बीआर गवई सीजेआई बने थे, तो लोगों को उम्मीद थी कि दलित उत्थान को लेकर न्यायपालिका का नजरिया बदलेगा। उदित राज ने अपने बयान में इसे इतिहास का मौका बताया, जिसे अगर गवई जी चाहते, तो मिनी अंबेडकर की भूमिका निभा सकते थे। उन्होने कहा, “अब भी अगर कुछ कदम उठाए जाते हैं, तो अच्छा है, वरना मायावती की तरह अंत निश्चित है।” बीआर गवई अनुसूचित जाति से आने वाले देश के दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं, जिनका कार्यकाल नवंबर 2025 तक है।