cyber fraud statistics in India 2024-देश के नागरिकों को 2024 में पूरे 22,845.73 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का शिकार होना पड़ा है। यह आंकड़ा न सिर्फ हैरान करता है, बल्कि खतरे की एक नई घंटी भी बजाता है। यह खुलासा केंद्र सरकार के गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने संसद में किया। उन्होंने बताया कि यह नुकसान 2023 की तुलना में तीन गुना ज़्यादा है, जब साइबर फ्रॉड से 7,465.18 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी।
साल दर साल बढ़ते अपराध
साइबर अपराध के मामलों में लगातार गंभीर वृद्धि देखी जा रही है। 2022 में जहां 10 लाख 29 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2023 में यह संख्या 15 लाख 96 हजार के पार चली गई। 2024 में तो यह आंकड़ा 22 लाख 68 हजार 346 तक पहुंच गया। यानी हर साल औसतन 40 से 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी। इससे साफ है कि डिजिटल इंडिया के साथ-साथ डिजिटल धोखेबाज़ी भी तेज़ रफ्तार पकड़ चुकी है।
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हर दिन लाखों लोगों पर धोखे का साया
2024 में दर्ज हुए 36 लाख 37 हजार से ज्यादा साइबर फ्रॉड के मामलों का अर्थ है कि हर दिन औसतन 10,000 से ज्यादा घटनाएं हो रही हैं। ये घटनाएं सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि उतने ही परिवारों की आर्थिक, मानसिक और सामाजिक पीड़ा का प्रमाण हैं, जिनसे अपराधियों ने चालाकी से पैसे ठगे।
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सरकार का ठोस जवाब
इन अपराधों पर तत्काल रोक लगाने के लिए सरकार ने 2021 में नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (CFCFRMS) शुरू की। इसका उद्देश्य यह है कि जैसे ही किसी के साथ साइबर फ्रॉड होता है, वह तुरंत रिपोर्ट करे ताकि उस ट्रांज़ैक्शन को ब्लॉक किया जा सके। इस सिस्टम के ज़रिए अब तक 17.82 लाख से अधिक शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए 5,489 करोड़ रुपये तक की राशि बचाई जा चुकी है एक बड़ी उपलब्धि।
अपराधियों की जड़ पर चोट
सिर्फ शिकायत भर दर्ज करना ही पर्याप्त नहीं। पुलिस और जांच एजेंसियों ने मिलकर अब तक 9.42 लाख से ज्यादा फर्जी सिम कार्ड और 2 लाख 63 हजार से अधिक डिवाइस आईएमईआई को ब्लॉक किया है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग की चेन तोड़ने के लिए बैंकों के सहयोग से ‘संदिग्ध रजिस्ट्री’ (Suspect Registry) भी शुरू की गई, जिसमें 11 लाख से ज़्यादा नकली पहचानकर्ता शामिल किए गए। इस पहल से 4,631 करोड़ रुपये की ठगी रोकने में सफलता भी मिली है।
अपराध की जड़ों को उजागर करने की नयी तकनीक
सरकार ने एक उन्नत तकनीकी टूल ‘प्रतिबिंब’ विकसित किया है जो साइबर अपराधियों के ठिकानों का मानचित्र पर पता लगाता है। इससे ना सिर्फ अपराध के नेटवर्क को भौगोलिक रूप से समझा जा सकता है, बल्कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को समय पर कार्रवाई करने में भी मदद मिल रही है। इसका असर भी सामने है—अब तक 10,599 से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
बुज़ुर्गों पर मंडराता खतरा
फिलहाल देश में बुजुर्गों द्वारा दर्ज कराई गई साइबर धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायतों का अलग आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल शिक्षा की कमी, तकनीकी समझ की सीमाएं और भरोसे की प्रवृत्ति उन्हें अपराधियों का आसान निशाना बना देती है। इस वर्ग की सुरक्षा के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता है।
जन-जागरुकता
सरकारी संस्थाएं, बैंक, साइबर सुरक्षा एजेंसियां और गैर-सरकारी संगठन मिलकर जागरुकता अभियान तेज़ कर रहे हैं। टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया और अखबारों में लगातार संदेश दिए जा रहे हैं कि अजनबी लिंक पर क्लिक न करें, किसी से अपने बैंक डिटेल साझा न करें, और ठगी होते ही तुरंत साइबर पोर्टल पर रिपोर्ट करें।
एक जिम्मेदार नागरिक बनें, सतर्क रहें
साइबर अपराध से लड़ाई सिर्फ सरकार या पुलिस की नहीं है, हर नागरिक की है। तकनीक जितनी ताकतवर हो गई है, ठग उतने ही शातिर हो गए हैं। ऐसे में आज ज़रूरत है डिजिटल साक्षरता की, सतर्कता की, और उस सामूहिक चेतना की जो इन अपराधियों को परास्त कर सके।सिर्फ एक क्लिक से अगर ठगी हो सकती है, तो एक क्लिक से उसे रोका भी जा सकता है शर्त है कि आप जागरूक हैं और तैयार हैं।