live-in relationships India-घरेलू हिंसा
महिला ने बताया कि उसके पति ने उसके साथ कई बार मारपीट की और मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया। ऐसे मामलों में अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं अपने मायके या किसी सुरक्षित स्थान पर शरण लेती हैं। इसी तरह, महिला ने प्रशांत के साथ नया जीवन शुरू करने का फैसला किया। लेकिन यह मामला यहीं नहीं रुका।
आरोपों के बीच बढ़ता तनाव
महिला का दावा है कि उसे और प्रशांत को परिवार से सुलह के नाम पर बुलाया गया और वहां उन पर जानलेवा हमला कर दिया गया। घटना के दौरान महिला का गला रेता गया और प्रशांत के गुप्तांगों पर धारदार हथियार से वार किया गया। स्थानीय लोगों ने समय रहते दोनों को बचाया और अस्पताल पहुंचाया, जहां दोनों की हालत गंभीर बनी हुई है।
समाज में बढ़ती पारिवारिक कलह और कानूनी पहलू
देशभर में ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जहां महिलाएं घरेलू हिंसा या असहमति के चलते ससुराल छोड़ देती हैं। कई बार ये विवाद तलाक और पुलिस केस तक पहुंच जाते हैं। कानूनी रूप से, यदि महिला के पास प्रताड़ना के पर्याप्त प्रमाण हैं, तो वह पुलिस और अदालत की मदद ले सकती है। हाल के वर्षों में अदालतों ने यह भी स्पष्ट किया है कि पत्नी कोई संपत्ति या बंधुआ मजदूर नहीं है, और उसे जबरन ससुराल में रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। ऐसे मामलों में पति या उसके परिवार द्वारा महिला को वापस लाने के लिए दबाव डालना भी कानूनन गलत है।
सामाजिक और पारिवारिक दबाव
ऐसे मामलों में महिलाओं पर सामाजिक और पारिवारिक दबाव भी काफी रहता है। कई बार परिवार और समाज की ओर से समझौते के लिए दबाव डाला जाता है, लेकिन जब मामला हिंसा या प्रताड़ना का हो, तो महिला के पास कानूनी अधिकार होते हैं कि वह अपनी सुरक्षा और सम्मान के लिए ससुराल छोड़ सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे विवादों का समाधान संवाद और कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से ही संभव है। अदालतें भी इस बात पर जोर देती हैं कि पति-पत्नी के बीच यदि सुलह संभव न हो, तो दोनों को स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार है। पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है और आरोपी की तलाश जारी है।