राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल संग्रह प्रणाली में नया बदलाव करते हुए भारत सरकार ने फास्टैग के बिना यात्रा करने वाले वाहनों के लिए एक नई टोल भुगतान नीति लागू करने का ऐलान किया है। अगर वाहन चालक डिजिटल माध्यम जैसे यूपीआई से भुगतान करता है तो उसे सामान्य टोल राशि के मुकाबले 1.25 गुना शुल्क देना होगा। जबकि नकद भुगतान करने वालों को अभी भी सामान्य टोल से दोगुना शुल्क देना होगा। यह नियम डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और नकद लेनदेन को कम करने के उद्देश्य से बनाया गया है।
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डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने की पहल
इस नए नियम का मुख्य उद्देश्य टोल प्लाजा पर नकद भुगतान के कारण होने वाली देरी और कुप्रबंधन को कम करना है। यूपीआई जैसे डिजिटल विकल्प अपनाने वाले वाहन चालकों को कम शुल्क देने का प्रावधान करके सरकार ने डिजिटल भुगतान की ओर प्रोत्साहन बढ़ाया है। साथ ही, डिजिटल भुगतान से टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों में भी कमी आएगी। सरकार का मानना है कि यह कदम राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा करने वाले नागरिकों के लिए सफर आसान बनाएगा।http://भारत सरकार ने बनाई दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल लाइब्रेरी, उठाइए मुफ्त में लाभ
कैसे होगा शुल्क निर्धारण?
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी वाहन के लिए सामान्य टोल शुल्क 100 रुपये निर्धारित है और उसके पास वैध फास्टैग है तो उसे केवल 100 रुपये ही देने होंगे। फास्टैग के बिना यदि वाहन चालक नकद भुगतान करता है तो उसे 200 रुपये का भुगतान करना होगा। वहीं इसी स्थिति में अगर फास्टैग नहीं होने के बावजूद वाहन चालक यूपीआई के माध्यम से भुगतान करता है तो उसे 125 रुपये देना होंगे। इस तरह, यूपीआई के जरिए भुगतान करने पर शुल्क में विशेष छूट मिलेगी जबकि नकद भुगतान करने वाले पर अब भी भारी शुल्क लागू रहेगा।



