आर्थिक मोर्चे पर अमेरिका और भारत के रिश्तों में इस समय बड़ा तनाव देखने को मिल रहा है। ताजा घटनाक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत तक की ऊँची टैरिफ दरें लागू कर दी हैं, जिससे द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ा है।
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रूसी तेल पर भारत की स्पष्ट नीति
भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह किफायती दाम और राष्ट्रीय हित के अनुसार ही कच्चे तेल की खरीद करेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा, “जहाँ से हमें सबसे अच्छा सौदा मिलेगा, वहीं से खरीदारी करेंगे।” उन्होंने बताया कि तेल जैसी बड़ी विदेशी मुद्रा की जरूरतें देश की आर्थिक सुरक्षा व खुदमुख्तारी के लिहाज से तय की जाती हैं। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत रूस से आयात 38 प्रतिशत तक ले चुका है और कच्चे तेल पर भारी बचत भी हो रही है।
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अमेरिकी आलोचना और भारतीय जवाब
अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों और ट्रंप के शीर्ष सलाहकारों ने भारत द्वारा रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने को ‘रूस के युद्ध तंत्र को फंड करने’ के तौर पर देखा है। व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो समेत अन्य अधिकारियों ने यह तक कहा कि भारत की ये नीति अमेरिका की नौकरियों को नुकसान पहुँचा रही है। भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिकी प्रतिबंध “अन्यायपूर्ण और अव्यावहारिक” हैं।