हरदा में करणी सेना के कार्यकर्ता ठगी के एक मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर स्थानीय थाने के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। करणी सेना के नेताओं का आरोप था कि पुलिस रुपये के लेन-देन में घोटाले के आरोपी को बचा रही है। इस मुद्दे पर प्रदर्शन में लगातार तीखापन और आक्रोश बढ़ता गया।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव
प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने शुरूआत में समझाइश देने का प्रयास किया, लेकिन स्थिति नियंत्रित न होने पर पुलिस ने बल प्रयोग के रूप में वाटर कैनन, आँसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया। इसमें कई प्रदर्शनकारियों के घायल होने की खबर सामने आई। वहीं, पुलिस ने कर्णी सेना के जिलाध्यक्ष सहित कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।
हिरासत और गिरफ्तारी का विवरण
पुलिस की कार्रवाई के बाद 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें करणी सेना परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी शामिल हैं। शांति भंग करने के आरोप में कई लोगों को जेल भेजा गया। इस बीच इलाके में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।
प्रशासनिक हलचल
घटना के तुरन्त बाद जिले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 लागू कर दी गई। प्रशासन का कहना है कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को काफी समझाया-बुझाया, लेकिन हालात बिगड़ने पर सख्ती बरतना जरूरी हो गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बाहर से ही सोशल मीडिया के जरिए सख्त संदेश दिया कि सरकार प्रदेश की शांति में किसी भी प्रकार की बाधा बर्दाश्त नहीं करेगी। विपक्ष के नेताओं, विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस घटना की निंदा करते हुए न्यायिक जांच की मांग की है।
करणी सेना की प्रतिक्रिया
पुलिस की कार्रवाई के बाद करणी सेना कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी देखने को मिली। इसके अगले दिन जिले व आसपास के इलाकों में लोग विरोध प्रकट करने के लिए सड़कों पर उतरे। इस घटना ने स्थानीय स्तर से आगे बढ़कर राज्य भर में ध्यान आकर्षित किया है।