सरकार ने इस वर्ष वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी है। इस फैसले का उद्देश्य करदाताओं को अधिक समय देना और आयकर फाइलिंग प्रक्रिया को सहज बनाना है। केंद्रीय बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने इस बात की घोषणा 27 मई 2025 को की थी, जो टैक्सपेयर्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स द्वारा उठाए गए मुद्दों को ध्यान में रखते हुए किया गया।
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फाइलिंग में विस्तार का कारण
इस विस्तार का मुख्य कारण आयकर रिटर्न के फार्म में हुए व्यापक बदलाव और नई ई-फाइलिंग प्रणाली की तैयारी में देरी है। नए ITR फार्मों में संरचनात्मक और विषयगत बदलाव किए गए हैं, जिससे करदाताओं के लिए फॉर्म भरना आसान और पारदर्शी हो सके। साथ ही, मई 2025 में टीडीएस क्रेडिट की जानकारी भी आने वाली है, जो फाइलिंग के शुरुआती चरणों को प्रभावित करती है।
देर से दाखिल करने पर जुर्माना और ब्याज
यदि कोई करदाता 15 सितंबर की अंतिम तिथि के बाद अपना रिटर्न फाइल करता है, तो उस पर ब्याज के साथ-साथ विलंब शुल्क भी लगाया जाएगा। ब्याज दर 1% प्रति माह या इससे कम हिस्सों पर पर लगेगा। इसके अलावा, अगर कुल आय 5 लाख से अधिक है, तो विलंब शुल्क 5,000 रुपए तक हो सकता है, जबकि 5 लाख से कम आय वालों पर 1,000 रुपए तक का शुल्क लगेगा। इसलिए, आयकर विशेषज्ञों ने करदाताओं को सलाह दी है कि वे इस तिथि से पहले ही रिटर्न दाखिल कर दें ताकि अनावश्यक जुर्माना और ब्याज से बचा जा सके।