Live news updates from UP today-फिरोजाबाद में दो करोड़ की लूट के मास्टरमाइंड नरेश ने पुलिस टीम को बरामदगी के बहाने बुलाया और मौके पर शौच का हवाला देकर झाड़ियों की तरफ गया, फिर लौटकर दिखाई नहीं दिया। एक हाथ में हथकड़ी होने के बावजूद वह कुछ ही पलों में ओझल हो गया और सुरक्षा घेरे की सबसे नाज़ुक कड़ी वहीं टूटती दिखी।
अलीगढ़ का सुराग
नरेश अलीगढ़ के खैर थाना क्षेत्र के गांव अरनी का निवासी है, जिसे पुलिस ने उसके पांच साथियों के साथ हिरासत में लिया था। प्रारंभिक कार्रवाई में एक करोड़ से अधिक नकदी बरामद होने के बाद टीम उसे आगे की बरामदगी के लिए मक्खनपुर-घुनपई सर्विस रोड के पास ले गई थी।
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शौच का बहाना, सोचा-समझा प्लान
रूटीन जरूरत बताकर उसने रास्ते में रुकने को कहा और सड़क किनारे उतरते ही झाड़ियों का कवर लिया। पुलिस कर्मियों के पहुंचने से पहले वह दृष्टि-सीमा से बाहर जा चुका था, इससे स्पष्ट है कि इलाके की बनावट और भागने के रास्तों का उसे अंदाजा था।
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मौका-ए-वाक़या और मिनटों की चूक
खेड़ा गणेशपुर के पास जैसे ही गाड़ी रुकी, निगरानी का फोकस कुछ सेकंड ढीला पड़ा और ठीक उसी खिड़की से वह निकल गया। ऐसे ऑपरेशन में डबल-लॉक, कमर-चेन और परिधि-निगरानी जैसी सावधानियां मानक मानी जाती हैं, जो यहां कमजोर पड़ती नज़र आईं।
जनपद में नाकाबंदी
घटना के बाद जिले में तत्काल नाकाबंदी की गई, हाईवे और लिंक-रूट्स पर चेकिंग बढ़ाई गई और संभावित ठिकानों पर दबिश शुरू हुई। स्थानीय मुखबिर नेटवर्क को सक्रिय किया गया और संदिग्ध वाहनों, ठहराव-स्थलों तथा आउटबाउंड मूवमेंट पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
वारदात की पृष्ठभूमि
30 सितंबर की सुबह कानपुर-आगरा हाईवे पर मक्खनपुर के पास हथियारबंद बदमाशों ने एक कार को ओवरटेक कर रोका और चालक को अगवा कर कैश से भरा बैग लूटकर फरार हो गए। यह रकम एक कैश ट्रांजेक्शन कंपनी की थी, जिसे आगरा ऑफिस तक पहुंचाया जाना था।
CCTV से गिरफ्तारी तक
घटना की जांच में सीसीटीवी फुटेज से दो संदिग्ध कारों की पहचान हुई, ट्रेसिंग के बाद टीम दिल्ली पहुंची और एक-एक कर आरोपितों को पकड़ा गया। पायनियर पुल के पास से नरेश सहित छह लोगों की गिरफ्तारी हुई और शुरुआती बरामदगी में करोड़ों की नकदी हाथ लगी।
बरामदगी के नाम पर ब्रेक
अगले चरण में नरेश की निशानदेही पर और रकम का सुराग मिलने का दावा हुआ, जिसके आधार पर पुलिस उसे मौके-ए-इशारा पर लेकर चली। इसी कड़ी में सर्विस रोड के पास रोका गया और वहीं से वह बहाना बनाकर फिसल गया।
प्रोटोकॉल पर सवाल
कस्टडी मूवमेंट के दौरान टीम-कम्पोजिशन, हथकड़ी-बंधन, लोकेशन-रीकी और 360-डिग्री विजुअल कवर जैसे प्रोटोकॉल अनिवार्य माने जाते हैं। इस मामले में प्राथमिक दृष्टि से यही बिंदु कमजोरी बनकर उभरे, जिनकी जिम्मेदारी तय होना अब अगला कदम होगा।
तलाश का दायरा बढ़ा
सीमावर्ती जिलों तक अलर्ट भेजे गए हैं, टोल-बारियर, ढाबा-लॉज और किराए के कमरों की जांच तेज़ हुई है और पुराने ठिकानों, रिश्तेदारी व संपर्क-बिंदुओं पर निगाह रखी जा रही है। पुलिस की कोशिश है कि भागने की शुरुआती बढ़त को जल्दतम समय में नाकाम कर नरेश को फिर कानून के दायरे में लाया जाए।



