मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में एक दिलचस्प किस्सा साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह उनका दाखिला मेडिकल क्षेत्र में हुआ था। साल 1982 में मोहन यादव ने प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) पास कर लिया था और मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए उनका चयन भी हो गया था। उस समय उनके परिवार और मित्रों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। यह चरण उनके जीवन का एक नया और उत्साहपूर्ण मोड़ साबित हो सकता था, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था।
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मित्रों की सलाह और राजनीति की ओर रुझान
जब मोहन यादव मेडिकल कॉलेज में दाखिल हुए, तब उनके दोस्तों ने उन्हें सुझाव दिया कि छात्र संघ चुनावों में भाग लेना चाहिए। राजनीति के प्रति बढ़ते रुझान के चलते उन्होंने एमबीबीएस छोड़कर बीएससी में दाखिला ले लिया। शिक्षा के इस बदलाव ने उनके जीवन की दिशा ही मोड़ दी। छात्र संघ चुनाव में हिस्सा लिया और कॉलेज प्रेसिडेंट भी बने। यह अनुभव उनकी नेतृत्व क्षमता को और मजबूती देता गया और राजनीति में उनकी गहरी रुचि को जन्म दिया।
पेशेवर अवसर और चुनी गई राह
बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें एमपीपीएससी के माध्यम से डिप्टी कलेक्टर का पद भी मिला था। यह उनके लिए बड़ा अवसर था, लेकिन उनका सपना राजनीतिज्ञ बनने का था, न कि प्रशासनिक अधिकारी बनने का। मोहन यादव ने डिप्टी कलेक्टर बनने की बजाय अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखने का फैसला लिया। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि जीवन में लक्ष्य को पहचानें और उसी दिशा में कार्य करें।