मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने महाकाल लोक परिसर के विस्तार के लिए प्रशासन के अधिग्रहण के बाद ढहाई गई लगभग 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। यह फैसला 7 अक्टूबर को जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने सुनाया। इस खारिज याचिका में मुस्लिम समुदाय के 13 याचिकाकर्ताओं ने मस्जिद के पुनर्निर्माण और प्रशासन के खिलाफ जांच की मांग की थी।
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धर्म पालन का अधिकार विशेष स्थान से नहीं जुड़ा
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संविधान प्रत्येक नागरिक को धर्म पालन स्वतंत्रता प्रदान करता है, लेकिन यह अधिकार किसी विशेष स्थान से जुड़ा नहीं है। अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दृष्टांत के हवाले से कहा कि धर्म का पालन किसी भी स्थान पर किया जा सकता है, इसलिए मस्जिद के रूप में इस्तेमाल की जा रही जमीन अधिग्रहण से इसका अधिकार प्रभावित नहीं होता। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि भूमि का अधिग्रहण पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत किया गया और उचित मुआवजा भी दिया गया है।
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महाकाल लोक परिसर का विस्तार और जमीन अधिग्रहण
उज्जैन के महाकाल लोक परिसर के विस्तार के लिए प्रशासन ने आस-पास के इलाकों को अधिग्रहित किया था, जिसमें तकिया मस्जिद की जमीन भी शामिल थी। अधिकारियों के अनुसार, वहां पहले से महाकालेश्वर मंदिर मौजूद है जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। प्रशासन ने अधिग्रहित जमीन का उपयोग महाकाल लोक परिसर के पार्किंग क्षेत्र के विस्तार के लिए करना था। 11 जनवरी को मुआवजा वितरण के बाद तकिया मस्जिद को ढहा दिया गया।



