MP में पैर धुलवाकर पानी पिलाने पर भड़का हाई कोर्ट, सभी पर NSA लगाने का दिया निर्देश. 

MP Damoh high court strict action-मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दमोह जिले के सतरिया गांव में ओबीसी वर्ग के युवक को पैर धोकर उसका पानी पीने के लिए मजबूर करने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कार्रवाई के आदेश दिए हैं। यह घटना जातिगत भेदभाव और मानवीय गरिमा के गंभीर उल्लंघन के रूप में सामने आई है, जिस पर कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है.

http://18 से 21 अक्टूबर तक पटाखे जलने की सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी, लेकिन रखी सर्ते.

घटना की पृष्ठभूमि

यह मामला दमोह जिले के पटेरा थाना क्षेत्र के सतरिया गांव का है, जहां ग्राम पंचायत ने शराबबंदी लागू की थी। अन्नू पांडे नामक युवक पर शराब बेचने और नशे में होने का आरोप लगा, जिस पर पंचायत ने उस पर जुर्माना लगाया। इसके बाद ओबीसी वर्ग के पुरुषोत्तम कुशवाहा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अन्नू पांडे की तस्वीर में उसके गले में जूतों की माला पहनाकर एक मीम बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इस पर आपत्ति उठने के बाद उसने मीम हटा लिया, लेकिन मामला जातिगत रूप ले चुका था

.​http://7000mAh बैटरी और MediaTek चिपसेट से लैस, Realme का दमदार AI कैमरा फ़ोन

पंचायत और जबरन प्रायश्चित

गांव में पंचायत बुलाई गई, जिसमें तय किया गया कि पुरुषोत्तम कुशवाहा को अपनी गलती के लिए प्रायश्चित करना होगा। इसके तहत उसे गांव के मंदिर में बुलाया गया और भीड़ के बीच अन्नू पांडे के पैर धोने तथा उस पानी को पीने के लिए मजबूर किया गया। इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया, जिससे राज्य भर में आक्रोश फैल गया.​

हाई कोर्ट का स्वतः संज्ञान

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की युगलपीठ, जिसमें जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल शामिल थे, ने इस वीडियो के आधार पर स्वतः संज्ञान लिया। कोर्ट ने इस घटना को “स्तब्ध करने वाला” और “जातिगत भेदभाव की दुष्ट सिम्फनी” करार दिया। न्यायालय ने चेतावनी दी कि यदि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के बीच आपसी लड़ाई जारी रही, तो डेढ़ सौ वर्षों में हिंदू समाज की एकता खतरे में पड़ सकती है.​

कोर्ट के कड़े निर्देश

हाई कोर्ट ने दमोह के एसपी को निर्देश दिए कि वीडियो में दिख रहे सभी आरोपियों के खिलाफ तत्काल राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 351 (हमला), 133 (सार्वजनिक उपद्रव) और मंदिर परिसर में अपराध होने के कारण धारा 196(2) भी जोड़ी जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो सामाजिक अशांति और हिंसा फैल सकती है.

Exit mobile version