“Muslim Congress leader advises youth to avoid Garba in MP- हाल ही में एक कांग्रेस नेत्री ने स्कूल और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चों को विवादित बयान देते हुए कहा कि अगर उनके हिंदू दोस्त उन्हें गरबा देखने के लिए बुलाएं तो उन्हें उस जगह नहीं जाना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि “हम उस जगह नहीं जाएंगे जहां हमारा काम नहीं है।” इस बयान ने राजनीतिक गलियारे में हलचल पैदा कर दी है, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द पर प्रश्नचिह्न लग रहा है। कांग्रेस के इस तंज ने गरबा जैसे सांस्कृतिक आयोजन को राजनीतिक विवाद का केंद्र बना दिया है।
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गरबा में धार्मिक पहचान को लेकर फिर छिड़ा विवाद
इस वर्ष नवरात्र के दौरान गरबा कार्यक्रमों को लेकर कई स्थानों पर धार्मिक पहचान पर विवाद देखा गया। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में गरबा में non-Hindus के प्रवेश को लेकर कुछ समूहों ने कड़ी पाबंदियां लगाने और एंट्री पर पहचान पत्र जांच सहित ‘हिंदू-केवल’ नीति लागू करने की बात कही है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने ऐसा दायरा बढ़ाते हुए कहा है कि गरबा एक धार्मिक अनुष्ठान है, जो केवल हिंदुओं के लिए है, जिससे गैर-Hindus को बाहर रखना चाहिए। इस बयान को लेकर विपक्ष और कांग्रेस ने इसे सांप्रदायिकता फैलाने वाला कदम बताया है।
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सियासी रुख: बीजेपी और कांग्रेस का मतभेद
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बीजेपी नेताओं ने इस धार्मिक पहचान पर आधारित फैसलों का समर्थन किया है। बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक कई बीजेपी सांसदों और मंत्रियों ने गरबा को हिंदू संस्कृति का हिस्सा बताते हुए इसे “संप्रदायिक” विरोधियों की राजनीति करार दिया है। वहीं, कांग्रेस ने इसे विभाजनकारी और समाज में नफ़रत फैलाने वाली साजिश करार दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी और महाराष्ट्र के नेता विजय वडेट्टीवार ने गरबा को सभी समुदायों के समावेशी सांस्कृतिक उत्सव के रूप में बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
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