नेपाल में मंगलवार को घटित राजनीतिक घटनाक्रम ने पूरे दक्षिण एशिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद देश न केवल सत्ता शून्य हो गया है बल्कि व्यापक हिंसक प्रदर्शनों ने हालात को और भी गंभीर बना दिया है। राजधानी काठमांडू से लेकर प्रांतों तक फैले विरोध ने नेपाल को एक गहरे संकट में धकेल दिया है।
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प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अचानक दिया इस्तीफा
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को पद छोड़ दिया। उनका इस्तीफा उस समय आया जब देशभर में विरोध-प्रदर्शन तेजी से फैल रहे थे। ओली सरकार पर सोशल मीडिया पर नियंत्रण लगाने और कई भ्रष्टाचार मामलों में मिलीभगत के आरोप लग रहे थे। इन नीतियों से खास तौर पर युवा वर्ग आक्रोशित था और पिछले कई हफ्तों से सड़कों पर उतरा हुआ था।
युवा पीढ़ी के नेतृत्व में सड़कों पर आक्रोश
इन विरोध प्रदर्शनों की खासियत यह है कि इसमें युवा पीढ़ी, खासकर Gen Z वर्ग की भूमिका अहम रही। छात्रों और युवा कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया प्रतिबंध का विरोध करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। बांग्लादेश की तर्ज पर आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया और धीरे-धीरे यह हिंसक झड़पों में बदल गया।
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सरकारी भवनों और नेताओं के घर बने निशाना
राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में आंदोलनकारियों ने संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और कई अन्य सरकारी संपत्तियों को निशाना बनाया। रिपोर्टों के अनुसार भीड़ ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, प्रधानमंत्री ओली और पूर्व प्रधानमंत्रियों के निजी आवासों में आग लगा दी। इससे देश के राजनीतिक नेतृत्व पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है।