प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जुलाई से 26 जुलाई तक ब्रिटेन और मालदीव की अहम यात्रा पर जाएंगे। इस यात्रा के दौरान वे दोनों देशों के नेताओं से मुलाकात कर व्यापार, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और द्विपक्षीय सहयोग जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे। यह दौरा भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ और वैश्विक साझेदारी को मजबूती देने वाला माना जा रहा है।
ब्रिटेन के साथ व्यापार और सुरक्षा संबंधों का विस्तार
ब्रिटेन में प्रधानमंत्री मोदी और वहां के प्रधानमंत्री के बीच बैठकें होंगी, जिसमें व्यापार, तकनीकी साझेदारी, रक्षा संधियों, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने पर जोर रहेगा। दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग और संभावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर चर्चा की संभावना है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को नया आयाम मिल सकता है।
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जलवायु, तकनीक और शिक्षा पर फोकस
प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा, तकनीक और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। दोनों देशों के बीच छात्रवृत्तियों, शोध और शिक्षा के क्षेत्र में नए समझौते हो सकते हैं, जिससे भारतीय युवाओं और छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अवसर मिलेंगे।
मालदीव में स्वतंत्रता दिवस समारोह के मुख्य अतिथि
यात्रा के दूसरे चरण में प्रधानमंत्री मोदी मालदीव पहुंचेगे, जहां वे 26 जुलाई को मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। यह पहली बार है जब भारत के प्रधानमंत्री को इस अवसर पर आमंत्रित किया गया है, जिससे दोनों देशों के संबंध मजबूत होने की उम्मीद है। मालदीव में वे राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और समुद्री सुरक्षा, आधारभूत संरचना, पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा करेंगे।
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भारत-मालदीव संबंधों में नई ऊर्जा
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच भरोसे और रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ बनाएगी। भारत-मालदीव संयुक्त विकास योजनाओं, निवेश और साझेदारी के नए दौर की शुरुआत इस यात्रा से मानी जा रही है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका अहम होगी।