अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस पावर ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं। कंपनी ने लगभग 44.68 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया है, जो पिछले साल की समान तिमाही के 98 करोड़ रुपये के घाटे की तुलना में उल्लेखनीय सुधार है। इस मुनाफे की मुख्य वजह लागत में कमी और संचालन को सुदृढ़ बनाना रहा।
राजस्व और लागत में बदलाव
रिलायंस पावर की कुल आय इस तिमाही में 2,025 करोड़ रुपये रही। हालांकि पिछले साल यह आंकड़ा 2,069 करोड़ रुपये था, पर कंपनी ने अपने खर्चों में लगभग 8.8% की कमी की है। इस तरह से ऑपरेशनल रिवेन्यू करीब पांच प्रतिशत गिरकर 1,885 करोड़ रुपये रहा। लागत संयम और कुशल प्रबंधन ने नतीजों को सकारात्मक रूप दिया है।
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कर्ज की स्थिति में सुधार
कंपनी ने अपने कर्ज को भी काफी हद तक काबू में किया है। रिलायंस पावर की डेब्ट-इक्विटी रेशियो अब 0.43 पर पहुंच गई है, जो उद्योग में बेहतर मानी जाती है। साथ ही, कंपनी की नेटवर्थ बढ़कर 16,431 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति में मजबूती आई है।
प्रमुख ऊर्जा परियोजनाएं
रिलायंस पावर के उत्तर प्रदेश स्थित 1,200 मेगावाट रोज़ा पावर स्टेशन ने 97% प्लांट लोड फैक्टर प्राप्त किया है, जबकि मध्य प्रदेश की 3,960 मेगावाट सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट ने भी 91% प्लांट लोड फैक्टर दर्शाया है। इससे कंपनी की परिचालन दक्षता और संसाधन प्रबंधन की क्षमता का पता चलता है।
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नए निवेश और विस्तार योजनाएं
कंपनी अपनी विस्तार योजनाओं के तहत लगभग 9,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है। इसमें से 6,000 करोड़ रुपये इक्विटी के ज़रिए और 3,000 करोड़ रुपये गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर के रूप में जुटाए जाएंगे। प्रमोटर समूह ने अपनी हिस्सेदारी भी बढ़ाकर 24.98% कर ली है।