गत वर्ष 2025 में, सेबी (SEBI) ने मार्जिन ट्रेडिंग के लिए नए कड़े नियम लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य जोखिम प्रबंधन को सशक्त बनाना और रिटेल निवेशकों की सुरक्षा करना है। अब ट्रेडर्स को अपनी पोजीशन केवल उसी पूंजी और मार्जिन के आधार पर रखना होगा जो उनके पास वास्तविक रूप में उपलब्ध हो, जिससे कम पूंजी में बड़े ट्रेड करना सहज नहीं रहेगा। इस पहल का मकसद अत्यधिक जोखिम भरे वित्तीय व्यवहार को सीमित करना और बाजार को स्थिर बनाना है।
मार्जिन ट्रेडिंग पर कड़ी पाबंदियां
नए नियमों के तहत ऑप्शन खरीददारों को पूरी प्रीमियम की अग्रिम राशि का भुगतान करना अनिवार्य कर दिया गया है और अधिकतम लिवरेज 5 गुना (5x) तक सीमित कर दिया गया है। इसके अलावा, एक्सपायरी के दिन स्प्रेड बेनिफिट नहीं मिलेगा और ट्रेडर्स को एक्सट्रीम लॉस मार्जिन (ELM) के अतिरिक्त 2% मार्जिन स्थापित करना होगा। कुछ चिन्हित स्टॉक्स में इंट्राडे ट्रेडिंग पर प्रतिबंध भी लगाया गया है ताकि अचानक बाजार में उठापटक को रोका जा सके।
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रिटेल निवेशकों के लिए प्रभाव
नए मार्जिन नियमों से रिटेल निवेशकों पर कई प्रभाव पड़े हैं। सबसे पहले, लिवरेज सीमित होने से छोटे पूंजी वाले निवेशकों को बड़े ट्रेड करने में कठिनाई होगी। इसके कारण रिटेल ट्रेडिंग की तीव्रता कम हो सकती है और बाजार में उनके योगदान में गिरावट आ सकती है। इसके विपरीत, यह कदम अत्यधिक नुकसान की संभावनाओं को कम करेगा, जिससे नये और अनुभवी ट्रेडर्स दोनों की सुरक्षा होगी।
कैसे रखते हैं ट्रेडर्स अपनी पोजीशन
ट्रेडर्स को अब 20% से कम नहीं, बल्कि पोज़ीशन के कुल मूल्य का कम से कम 20% मार्जिन अग्रिम तौर पर रखना होगा। इसके साथ ही, ट्रेडिंग दिन के दौरान कम से कम चार बार उनके खुले पोजीशन की निगरानी भी की जाएगी। इससे एक्सचेंज को तुरंत मार्जिन की कमी का पता चल सकेगा और वे आवश्यक कार्रवाई कर सकेंगे। इससे जोखिम प्रबंधन और पारदर्शिता बढ़ेगी।