What happends after deths in hinduism-मृत्यु जीवन का अटल सत्य है, जिसे वेदांत, उपनिषद और विज्ञान ने अपने-अपने दृष्टिकोण से समझने का प्रयास किया है। वेदांत के अनुसार, मृत्यु केवल शरीर का अंत है, आत्मा का नहीं। श्रीमद्भगवद्गीता में स्पष्ट कहा गया है कि आत्मा न कभी जन्म लेती है, न मरती है; वह केवल शरीर बदलती है।
विज्ञान के अनुसार, मृत्यु वह क्षण है जब शरीर के सभी जैविक कार्य स्थायी रूप से बंद हो जाते हैं। आधुनिक शोधों और विश्वविद्यालयों के अध्ययनों के अनुसार, मृत्यु एक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर के अंग और कोशिकाएं अलग-अलग समय पर अपना कार्य बंद करती हैं, न कि एक ही क्षण में सब कुछ रुक जाता है।
What happends after deths in hinduism-मृत्यु से पहले शरीर में परिवर्तन: शास्त्र और शोध की नजर से
मृत्यु से पूर्व शरीर में कई शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव आते हैं। शास्त्रों के अनुसार, व्यक्ति को अपने जीवन के महत्वपूर्ण घटनाक्रम याद आने लगते हैं, वह शांत, गंभीर और कभी-कभी विरक्त हो जाता है। कई बार वह अपने प्रियजनों से मिलकर मोह या विरक्ति अनुभव करता है। आयुर्वेद और योग शास्त्र के अनुसार, मृत्यु के निकट नाड़ी बहुत धीमी या अनियमित हो जाती है, त्वचा ठंडी पड़ती है, आंखों की चमक खत्म हो जाती है, और व्यक्ति बेहोश या अचेतावस्था में चला जाता है। विश्वविद्यालयों के शोध बताते हैं कि मृत्यु से कुछ घंटे पहले मस्तिष्क में न्यूरोकेमिकल्स का असंतुलन शुरू हो जाता है, जिससे व्यक्ति को मतिभ्रम या विचित्र अनुभव हो सकते हैं।
What happends after deths in hinduism-वेदांत में मृत्यु का संकेत और पंचतत्वों का विलय
वेदांत और पुराणों के अनुसार, मृत्यु के समय शरीर के पंचतत्व—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—अपने-अपने मूल तत्वों में विलीन होने लगते हैं। ऋग्वेद में कहा गया है कि यह शरीर अरबों-खरबों कोशिकाओं से निर्मित है, जो हर समय बदलती रहती हैं, और मृत्यु के समय उनका अंतिम रूपांतरण होता है। आत्मा इस शरीर को त्यागकर अपनी यात्रा जारी रखती है, जिसे वेदांत में ‘सूक्ष्म शरीर’ की यात्रा कहा गया है।
What happends after deths in hinduism-मृत्यु के क्षण में मस्तिष्क और चेतना
आधुनिक विज्ञान के अनुसार, मृत्यु के क्षण में सबसे पहले हृदय की धड़कन और श्वसन रुकती है, जिससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है। इस अवस्था को ‘क्लिनिकल डेथ’ कहा जाता है। यदि कुछ ही मिनटों में चिकित्सा हस्तक्षेप न हो, तो मस्तिष्क की कोशिकाएं स्थायी रूप से नष्ट होने लगती हैं, जिसे ‘बायोलॉजिकल डेथ’ कहा जाता है।
विश्वविद्यालयों के शोधों में पाया गया है कि मृत्यु के समय मस्तिष्क में डायमेथाइलट्रिप्टामाइन (DMT) नामक रसायन सक्रिय हो जाता है, जिससे व्यक्ति को विचित्र अनुभव, दिवंगत प्रियजनों की उपस्थिति या स्वर्ग जैसी अनुभूतियां हो सकती हैं।

What happends after deths in hinduism-मृत्यु के बाद शरीर में परिवर्तन
मृत्यु के तुरंत बाद शरीर की सभी मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं, पलकें और जबड़ा ढीले पड़ जाते हैं। त्वचा का रंग फीका पड़ने लगता है और तापमान गिरने लगता है, जिसे ‘एल्गर मोर्टिस’ कहा जाता है। 2 से 6 घंटे बाद ‘रिगर मोर्टिस’ की प्रक्रिया शुरू होती है, जिसमें मांसपेशियां कठोर हो जाती हैं। 12 घंटे के भीतर शरीर पूरी तरह कठोर हो जाता है, और 24 घंटे बाद मांसपेशियां फिर से ढीली होने लगती हैं। इसके बाद ‘ऑटोलिसिस’ और ‘पुट्रिफिकेशन’ की प्रक्रिया शुरू होती है, जिसमें कोशिकाएं अपने-अपने एंजाइम्स से टूटने लगती हैं और शरीर सड़ने लगता है।

What happends after deths in hinduism-मृत्यु के बाद चेतना और आत्मा की यात्रा
वेदांत के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा अपनी यात्रा पर निकलती है और शरीर के पंचतत्व प्रकृति में विलीन हो जाते हैं। विज्ञान इस विषय पर स्पष्ट प्रमाण नहीं देता, लेकिन विश्वविद्यालयों के कुछ शोधों में पाया गया है कि मृत्यु के बाद भी कुछ कोशिकाएं और अंग कुछ समय तक सक्रिय रह सकते हैं। अंगदान के लिए मृत्यु के तुरंत बाद अंगों को सुरक्षित निकालना संभव होता है, क्योंकि कुछ कोशिकाएं ऑक्सीजन की कमी के बावजूद थोड़ी देर तक जीवित रहती हैं। यह शोध मृत्यु के जैविक रहस्यों को समझने में नई दिशा देता है।
What happends after deths in hinduism-मृत्यु के बाद के संकेत
शास्त्रों में मृत्यु के बाद के संकेतों का उल्लेख है, जैसे शरीर का ठंडा पड़ना, त्वचा का रंग बदलना, और मल-मूत्र का स्वतः त्याग होना। विज्ञान भी इन संकेतों की पुष्टि करता है। आधुनिक शोधों के अनुसार, मृत्यु के बाद भी शरीर में न्यूनतम गतिविधियां बनी रह सकती हैं, जैसे कुछ मांसपेशियों का हिलना या त्वचा का सिकुड़ना। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने पाया कि शव के कुछ हिस्से सड़न के दौरान एक साल तक भी हिल सकते हैं, जो रासायनिक प्रक्रियाओं का परिणाम होता है।