What is review pettion and curative petition- पुनर्विचार याचिका और उपचारात्मक याचिका क्या है?3 तरीकों से जानिये ईसके फायदे व नुकसान

What is review pettion and curative petition- फांसी की सजा सुनाये जाने के बाद में जब सुप्रीम कोर्ट में की गई अपील सुप्रीम कोर्ट के द्वारा खारिज कर दी जाती है तब आरोपी के पास से आप विकल्प होता है कि वह दया याचिका के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन कर सकता है अगर यहाँ पर आरोपी को रिलीफ नहीं मिलती है तो उसे मरने से कोई नहीं बचा सकता|

What is review pettion and curative petition- मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने के उपरांत जब आरोपी व्यक्ति हाईकोर्ट से अपील खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील करता है और सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा भी आरोपी के अपील को खारिज कर दिया जाता है तब आरोपी के पास अंतिम विकल्प यह होता है कि वह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष का पुनर्विचार याचिका और उपचारात्मक याचिका दाखिल कर सके इस याचिका के संबंध में  संविधान में क्या प्रावधान है इस विषय में आपको इस ब्लॉग में विस्तार से और आसान भाषा में जानने को मिलेगा|

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What is review pettion and curative petition–पुनर्विचार याचिका का प्रावधान

 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 132 में सुप्रीम कोर्ट को अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करने तथा उन्हें सुधारने की शक्ति प्रदान की गई है संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत दोषी व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में रिव्यु पेटिशन यानी की पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है जिससे कि सर्वोच्च न्यायालय अपने निर्णय पर दोबारा विचार कर सके|

When can a review petition be filed in Indian courts

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What is review pettion and curative petition–सजा बरकरार रखने की स्थिति में

 अब मान लीजिये कि आरोपी व्यक्ति ने पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी लेकिन पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आरोपी की सजा को बरकरार रखा जाता है तब दोषी व्यक्ति के पास आखिरी और अंतिम उपाय यह बचता है कि वह सुप्रीम कोर्ट में उपचारात्मक याचिका दायर करे.

Female office worker holding silver pen filling out some application form closeup

What is review pettion and curative petition उपचारात्मक याचिका की उत्पत्ति।

इस शब्द की उत्पत्ति cure शब्द से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ उपचार होता है उपचारात्मक याचिका में यह बताना बेहद आवश्यक होता है कि याचिकाकर्ता किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहा है अगर यह बेहतरीन तरीके से नहीं बताया गया है तो यहाँ पर भी राहत मिलने की बहुत कम उम्मीद होती है|

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What is review pettion and curative petition–कब दाखिल की जाती है उपचारात्मक याचिका?

 उपचारात्मक याचिका आरोपी के पास अंतिम विकल्प होता है यह तब दाखिल किया जाता है जब किसी आरोपी खूब सुनाई गई सजा राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में रिव्यु पिटिशन के दौरान बरकरार रखी जाती है यानी की सजा को खारिज नहीं किया जाता है इस याचिका की जो उत्पत्ति है वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के द्वारा जो की रूपा अशोक हुर्रा वर्सिस अशोक हुर्रा & NR ऑन 10 अप्रैल 2002 के केस में हुई थी|

Legal provisions governing review petitions under the Indian Constitution

What is review pettion and curative petition–उपचारात्मक याचिका खारिज होने की स्थिति में

 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उपचारात्मक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाती है अब यदि उपचारात्मक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा खारिज की जाती है तो फिर आरोपी को फांसी की सजा से कोई नहीं बचा सकता उसका मरना पूरी तरीके से निश्चित और तय हो जाता है इसी के साथ क्रिमिनल केस का ट्रायल भी समाप्त हो जाता है और फांसी की तिथि निर्धारित की जाती है उस दिन आरोपी को फांसी पर लटका दिया जाता है|

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What is review pettion and curative petition–बरती जाने वाली सावधानी 

ट्रायल कोर्ट के द्वारा आरोपी को फांसी की सजा सुनाये  जाने के उपरांत जो सबसे महत्वपूर्ण सावधानी संबंधित व्यक्ति को बरतनी चाहिए वह यह है कि अपने मामले में एक बेहतरीन अधिवक्ता का चयन करना क्योंकि अब आपका मामला गंभीर नहीं बल्कि अत्यंत गंभीर हो जाता है इसलिए आपके पास अगर बेहतरीन अधिवक्ता होंगे तो जो भी तथ्य है उन्हें बेहतरीन तरीके से हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रख सकेंगे तभी आपको फायदा मिलेगा|

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What is review pettion and curative petition–तथ्यों को बेहतरीन तरीके से समझना

इसके अतिरिक्त ट्रायल कोर्ट के द्वारा जो फैसला सुनाया जाता है उसके तथ्यों को बारीकी से समझना होता है और हाइकोर्ट में  उन्हीं तथ्यों का उल्लेख करके विश्लेषण करना होता है और अगर हाइकोर्ट के द्वारा सजा खारिज नहीं की जाती तो फिर हाइकोर्ट ने जो फैसला दिया है उस फैसले को अच्छे से पढ़कर समझकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखना होता है|

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