सिकंदराबाद में हाल ही में एक अनोखे तस्करी रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जिसने हर किसी को चौंका दिया है। यहां पारंपरिक तस्करी से हटकर सरोगेसी और स्पर्म तस्करी से जुड़े संगठित अपराध का खुलासा हुआ, जिसमें कई अलग-अलग राज्यों से जुड़े पहलू सामने आए हैं।
डीएनए जांच से खुली हकीकत
कुछ वर्ष पहले एक दंपति ने सरोगेसी प्रक्रिया का सहारा लिया पर उन्हें संदेह हुआ कि नवजात बच्चा उनका जैविक संतान नहीं है। जब लगातार सत्यापन की मांग की गई, तो अनियमितताएं उजागर होने लगीं। आखिरकार निजी स्तर पर करवाई गई डीएनए जांच में यह साबित हो गया कि बच्चे का उस दंपति से कोई जैविक संबंध नहीं था।
पुलिस का छापा और गिरफ्तारियां
डीएनए जांच की रिपोर्ट के बाद दंपति ने संबंधित पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस की त्वरित कार्रवाई में एक फर्टिलिटी सेंटर समेत कई व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में चौंकाने वाली बातें सामने आईं, जिसमें पता चला कि बिना उचित अनुमति के अलग-अलग राज्यों तक स्पर्म और एग की तस्करी की जाती थी। कई अहम दस्तावेज जब्त किए गए और क्रॉस-जांच के लिए सैंपल लिए गए।
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गरीब महिलाओं और दंपत्तियों का शोषण
जांच में यह सामने आया कि आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को झांसा देकर सरोगेसी में शामिल किया जाता था। वहीं, संतान की चाह में आए दंपत्तियों से भारी रकम वसूली जाती थी। कई बार नवजात बच्चों को गरीब परिवारों से लेकर नकली दस्तावेजों के सहारे आईवीएफ और सरोगेसी के नाम पर बेचा भी गया।
राज्यों में फैला नेटवर्क
पूछताछ के दौरान पता चला कि यह रैकेट एक शहर तक सीमित नहीं था बल्कि इसके तार देश के कई अन्य राज्यों से जुड़े हैं। इसमें तकनीशियन, एजेंट, कानूनी सलाहकार और अन्य लोग मिले हुए थे। पुलिस को ऐसे सबूत भी मिले हैं जिससे इशारा मिलता है कि कई और मेडिकल केंद्र और एजेंट्स इस रैकेट में संलिप्त हो सकते हैं।
कानून व नैतिकता पर सवाल
यह मामला सामने आने के बाद समाज में सरोगेसी और प्रजनन सामग्री से जुड़े कानून और चिकित्सा नैतिकता पर सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसी गतिविधियों पर जल्दी लगाम नहीं लगाई गई, तो यह बच्चों की खरीद-फरोख्त और महिलाओं के शोषण का बड़ा कारण बन सकता है। इसके बाद प्रशासन द्वारा अन्य केंद्रों पर भी जांच शुरू कर दी गई है।