दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को केंद्र सरकार ने 95, लोधी एस्टेट स्थित टाइप-VII बंगला आवंटित किया है। यह आवंटन दिल्ली हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद किया गया, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा आवास आवंटन में हो रही देरी पर तंज कसा गया था। टाइप-VII बंगला सरकारी आवास की दूसरी सबसे बड़ी श्रेणी है और इसके मिलने से केजरीवाल को उनका अधिकार मिला है जो एक राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक को दिया जाता है।http://Gold prices in India October 2025- सोने का भाव में भारी उछाल, MCX पर पहली बार 119400 रुपये पार,
बंगले की विशेषताएं और आवास का महत्व
यह बंगला चार बेडरूम, एक हॉल, एक वेटिंग रूम और एक डायनिंग रूम वाला है। साथ ही, इसमें दो लॉन भी शामिल हैं, जिसमें से एक लॉन छोटा है। केजरीवाल ने लंबे समय तक सरकारी बंगले के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी थी, जिसका नतीजा अब मिला है। राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्षों को सरकारी आवास आवंटित करने की नीति के तहत यह बंगला उन्हें दिया गया है, लेकिन टाइप-VII कैटेगरी का आवास होना उनके लिए खास मायने रखता है क्योंकि यह बड़े और सुविधाजनक सरकारी आवासों में से एक है।
केजरीवाल का पिछला आवास और विवाद
अरविंद केजरीवाल ने नवंबर 2024 में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और उससे पहले वे 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित सरकारी बंगले में रहते थे। इस बंगले को लेकर ‘शीश महल’ विवाद भी हुआ था, जिसमें इसके नवीनीकरण में करोड़ों रुपये खर्च होने और यथार्थपसंद तरीके से खर्च की जांच की मांग उठी थी। इस्तीफे के बाद केजरीवाल को स्थायी सरकारी आवास नहीं मिला था, जिसके कारण उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में आवास के लिए याचिका दायर की थी।