Madhya Pradesh

दीवाली पर कार्बाइड गन से पड़ाखे फोड़ने से आंखों को भारी नुकसान, लोगों की गई रोशनी.

calcium carbide gun eye injuries during Diwali – मध्य प्रदेश में इस दीवाली पर्व के दौरान ‘कार्बाइड गन’ या जिसे ‘मंकी रिपेलर गन’ भी कहा जाता है, के खतरनाक इस्तेमाल से लगभग 300 लोग गंभीर या मामूली रूप से आंखों में चोटिल हो गए हैं। इनमें कई बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 7 से 14 वर्ष के बीच है। इस घटना में करीब 30 लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी है, जो इस त्योहार को प्रदेश के लिए काला यादगार बना दिया है.​

http://सुशांत सिंह राजपूत केस में रिया की बढ़ी मुश्किलें, परिवार ने CBI रिपोर्ट को चुनौती दी।

सोशल मीडिया और इसके खतरनाक प्रचार

कार्बाइड गन के खतरनाक प्रचलन में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका सामने आई है। विभिन्न प्लेटफार्म्स जैसे इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर ‘फायरक्रैकर गन चैलेंज’ के नाम से वीडियो वायरल हुए, जिनमें युवा इसे चलाते दिखाए गए। इस वजह से खतरनाक यह ट्रेंड और बढ़ गया, जिससे बच्चों समेत अन्य लोगों को गंभीर चोटें आईं। विशेषज्ञों और अधिकारियों ने इस प्रकार के खतरनाक उत्पादों के प्रचार एवं वॉयरल वीडियो बनाने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की मांग की है ताकि इस तरह के खतरनाक व्यवहार को रोका जा सके

कार्बाइड गन क्या है और क्यों खतरनाक?

कार्बाइड गन एक कृषि उपकरण है, जो मंकी या पक्षियों को फसलों से डराने के लिये उपयोग में लाया जाता है। यह कैल्शियम कार्बाइड, माचिस की तीली, और बारूद के मिश्रण से निर्मित होता है। जब इसे जलाने के लिए पानी डाला जाता है, तो इससे एसीटिलीन गैस निकलती है जो एक शक्तिशाली विस्फोट और तेज ध्वनि उत्पन्न करती है। इस प्रक्रिया से निकली तेज़ चमक और गर्मी के कारण कई बच्चों की आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। एल्कली (क्षार) घाव जो इन विस्फोटों से होते हैं, आंखों को गंभीर और स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं.​

http://अग्निवीर भर्ती नीति में बड़ा बदलाव, 75% अग्निवीरों की नौकरी रहेगी बरक़रार.

आंखों का इलाज और अस्पतालों की स्थिति

भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज, एम्स और अन्य अस्पतालों की नेत्र विभाग में लगभग 36 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से 15 का ऑपरेशन किया गया है। डॉक्टरों के अनुसार, कई बच्चों की कॉर्निया को गंभीर नुकसान हुआ है, जो आंख की रोशनी खत्म होने का कारण बन सकता है। करीब 154 लोगों को आउट पेशेंट डेपार्टमेंट (OPD) में रिफर किया गया, और 32 को इन-पेशेंट के तौर पर रखा गया। अस्पतालों में इस समस्या का मुकाबला करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम तैनात है, लेकिन शुरुआती देर के कारण कुछ बच्चों की आँखों की रोशनी स्थायी रूप से चली गई है.​

Tiwari Shivam

शिवम तिवारी को ब्लॉगिंग का चार वर्ष का अनुभव है कंटेंट राइटिंग के क्षेत्र में उन्होंने एक व्यापक समझ विकसित की है वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व दुनिया के नामी स्टार्टप्स के लिये भी काम करते हैं वह गैजेट्स ,ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, स्पेस रिसर्च ,इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ,कॉर्पोरेट सेक्टर तथा अन्य विषयों के लेखन में व्यापक योग्यता और अनुभव रखते हैं|

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Index