MP government 5200 crore new loan impact 2025- मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर से भारी भरकम कर्ज लेने जा रही है, जो राज्य की वित्तीय स्थिति और विकास कार्यों को देखकर कई राजनीतिक और आर्थिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। इस नए ऋण के साथ ही राज्य का कुल कर्ज का बोझ पहले से और बढ़ जाएगा, जिससे आने वाले दिनों में इसकी आर्थिक स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह खबर न केवल राज्य की वर्तमान वित्तीय नीतियों को दर्शाती है, बल्कि इसके पीछे की मंशाओं और संभावित प्रभावों का भी विश्लेषण करती है।
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नई ऋण योजना का ऐलान, 5200 करोड़ रुपये का लोन
मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार 29 अक्टूबर यानी राज्य स्थापना दिवस से पहले ही 5200 करोड़ रुपये का नया कर्ज लेने की तैयारी कर रही है। यह कर्ज दो किश्तों में मंजूर किया जाएगा, जिसमें पहली किश्त 2700 करोड़ रुपये की 21 वर्षों की अवधि के लिए और दूसरी 2500 करोड़ रुपये की 22 वर्षों के लिए होगी। इस वित्त पोषण का उपयोग राज्य के विकास प्रोजेक्ट्स, सामाजिक योजनाओं जैसे लाड़ली बहना, विधानसभा और अन्य आवश्यक खर्चों के लिए किया जाएगा। सरकार के सूत्रों का कहना है कि यह कदम वित्तीय प्रबंधन के अंतर्गत आता है और योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जरूरी है।
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कर्ज का बोझ और वित्तीय घोषणाएँ
इस नए कर्ज के साथ ही मध्य प्रदेश का कुल कर्ज अब 4.64 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच जाएगा। पिछले सात महीनों में ही प्रदेश का कुल कर्जा 42,600 करोड़ रुपये तक बढ़ चुका है, जो इस बात का संकेत है कि सरकार की ऋण लेने की नीति लगातार जारी है। इस कर्ज का उपयोग सरकार द्वारा विभिन्न विकास योजनाओं, गरीब कल्याण और बुनियादी ढांचा के निर्माण में किया जा रहा है, लेकिन आलोचक इसे आर्थिक दृष्टि से जोखिम भरा कदम मान रहे हैं। उनका तर्क है कि बढ़ते कर्ज और उसकी अदायगी में हो रही देरी से प्रदेश की वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है।


