Supreme Court Diwali permission 2025- देश की सर्वोच्च अदालत ने दिवाली के अवसर पर ग्रीन पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा कि दिवाली की खुशियों को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित करना जरूरी है। इस आदेश के तहत 18 से 21 अक्टूबर तक केवल ‘ग्रीन पटाखों’ की बिक्री और उपयोग की अनुमति होगी। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनाया। अदालत ने कहा कि यह छूट नियंत्रित परिस्थितियों में दी जा रही है ताकि लोग परंपरा का आनंद ले सकें और प्रदूषण भी सीमित रहे.
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ग्रीन पटाखों की बिक्री और फोड़ने का समय तय
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, ग्रीन पटाखे केवल 18 से 21 अक्टूबर तक बेचे जा सकेंगे। इन्हें दिन में सुबह 6 से 7 बजे और रात में 8 से 10 बजे के बीच ही फोड़ा जा सकेगा। यह समय सीमा पूरे देश में लागू होगी, लेकिन विशेष ध्यान दिल्ली और एनसीआर क्षेत्रों में रहेगा। अदालत ने स्पष्ट किया है कि इन पटाखों की बिक्री केवल अधिकृत दुकानों से ही होगी, जिनके पास नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) द्वारा स्वीकृत उत्पाद होंगे। प्रत्येक पटाखे पर QR कोड लगा होना जरूरी होगा, ताकि नकली उत्पादों की पहचान हो सके.
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ई-कॉमर्स पर बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि किसी भी हाल में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे फ्लिपकार्ट, अमेज़न या किसी अन्य ऑनलाइन माध्यम से पटाखों की बिक्री नहीं की जा सकेगी। अदालत ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे नियमित गश्त करें और यह सुनिश्चित करें कि ऑनलाइन डिलीवरी के माध्यम से कोई गैरकानूनी स्टॉक ना बेचा जा सके। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ लाइसेंस रद्दीकरण की कार्यवाही की जाएगी। यह निर्णय पिछले वर्षों में बढ़ती ऑनलाइन बिक्री और नकली पटाखों के दुरुपयोग को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.
अदालत ने कहा – चाहिए संतुलित दृष्टिकोण
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि ‘दिवाली की परंपरा’ को खत्म किए बिना पर्यावरण के नियमों का पालन करना आवश्यक है। पिछले कुछ वर्षों में लगाई गई पूर्ण बंदी से प्रदूषण में विशेष सुधार नहीं दिखा, बल्कि अवैध पटाखों की तस्करी बढ़ गई जिससे स्थिति और खराब हुई। अदालत ने इसे “संतुलित दृष्टिकोण” बताया, जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक उत्सव और पर्यावरण सुरक्षा दोनों को साथ लेकर चलना है। अदालत ने कहा कि अगर यह नियंत्रित अनुमति सकारात्मक परिणाम देती है, तो आने वाले सालों में इसी मॉडल को अपनाया जा सकता है