मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गांव स्थित बागेश्वर धाम में शुक्रवार को पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का 29वां जन्मदिन भव्य रूप से मनाया गया। देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचे और अपने गुरु को शुभकामनाएं देने के लिए लंबी कतारों में लगे रहे। जन्मदिन के मौके पर भक्तों ने शास्त्री जी को विशेष उपहार भेंट किए, जिनमें मिठाई, तस्वीरें और अन्य धार्मिक वस्तुएं शामिल थीं। इस मौके पर बागेश्वर धाम को आकर्षक ढंग से सजाया गया था और भजन संध्या का आयोजन भी किया गया।
श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत नजारा
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के प्रति श्रद्धा का यह आलम था कि लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर से बागेश्वर धाम पहुंचे। देर रात से ही भक्तों का आना शुरू हो गया था और सुबह होते-होते धाम परिसर में भक्तों का मेला सा लग गया। हर कोई अपने गुरु के दर्शन और आशीर्वाद के लिए आतुर था। रीवा, सतना, झांसी, दिल्ली सहित अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। कई भक्तों ने शास्त्री जी के दीर्घायु और देशहित में उनके योगदान की कामना की।
हादसे ने बढ़ाया शोक, सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द
जन्मदिन के उत्सव के बीच एक दर्दनाक हादसा भी हुआ। भारी बारिश के चलते टेंट गिरने से एक श्रद्धालु की मौत हो गई और करीब दर्जनभर लोग घायल हो गए। इस घटना के बाद बागेश्वर धाम प्रशासन ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया और केवल धार्मिक अनुष्ठान व हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया गया। हादसे की खबर मिलते ही शास्त्री जी ने गहरा शोक व्यक्त किया और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। धाम में सुरक्षा के लिए चार जिलों की पुलिस तैनात रही।
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गुरु के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के जन्मदिन पर भक्तों ने न केवल उपहार भेंट किए, बल्कि कुछ ने उनके लिए विशेष ईंट भी भेंट की, जो बागेश्वर धाम के निर्माण कार्य में उपयोग की जाएगी। शास्त्री जी ने भी अपने संदेश में कहा कि धाम का हर पत्थर और ईंट भक्तों की आस्था का प्रतीक है। उन्होंने सभी भक्तों को धन्यवाद दिया और समाज में एकता, प्रेम और सेवा का संदेश दिया।
जन्मदिन पर लिया हिंदू राष्ट्र का संकल्प
अपने जन्मदिन के अवसर पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प दोहराया और समाज में जातिवाद, मनमुटाव और भेदभाव को दूर करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब तक देश में एकता और भाईचारा नहीं होगा, तब तक सच्चा धर्म स्थापित नहीं हो सकता।

गुरु-शिष्य परंपरा का जीवंत उदाहरण
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने जीवन में गुरु-शिष्य परंपरा को जीवंत बनाए रखा है। उनके गुरु संन्यासी बाबा ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनके मार्गदर्शन में शास्त्री जी ने आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाया। शास्त्री जी की कथाओं में रामचरितमानस, शिवपुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों की गूढ़ व्याख्या होती है, जिससे लाखों लोग प्रेरित होते हैं।
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परिवार और व्यक्तिगत जीवन
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पंडित रामकृपाल शास्त्री और माता सरोज गर्ग हैं। परिवार के अन्य सदस्य भी धार्मिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। शास्त्री जी अविवाहित हैं और अपना पूरा जीवन समाज सेवा और आध्यात्मिक कार्यों को समर्पित कर चुके हैं।