भारतीय स्टेट बैंक के अलावा पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक ने भी यह सुविधा लागू कर दी है। इन बैंकों ने अपने बचत खातों पर न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। पहले इन बैंकों में 500 से 3000 रुपये तक का मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी था, जो अब जरूरी नहीं रहा। बैंक ऑफ बड़ौदा ने 1 जुलाई 2025 से अपने सभी सामान्य बचत खातों पर यह नियम लागू किया है, जबकि इंडियन बैंक ने 7 जुलाई 2025 से सभी सेविंग्स अकाउंट्स पर मिनिमम बैलेंस चार्ज पूरी तरह हटा दिया है।
Bank of India – ग्रामीण और सीमित आय वर्ग को मिलेगा सीधा लाभ
मिनिमम बैलेंस चार्ज खत्म होने से खासकर उन खाताधारकों को राहत मिलेगी, जिनकी आमदनी सीमित है या जो खाते का इस्तेमाल सब्सिडी, पेंशन या अन्य सरकारी योजनाओं के लिए करते हैं। पहले हर महीने खाते में न्यूनतम राशि न होने पर 50 से 150 रुपये तक चार्ज कट जाता था, जिससे गरीब और ग्रामीण ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता था। अब इस व्यवस्था के खत्म होने से वे बिना किसी डर के अपने खाते का संचालन कर सकेंगे।
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बैंकिंग सेक्टर में बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा और वित्तीय समावेशन
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला बैंकिंग सेक्टर के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। इससे बैंकिंग सेवाओं तक अधिक लोगों की पहुंच बढ़ेगी और औपचारिक बैंकिंग सिस्टम से जुड़ाव बढ़ेगा। सरकार और रिजर्व बैंक लंबे समय से वित्तीय समावेशन पर जोर दे रहे हैं, ऐसे में यह कदम उस दिशा में अहम साबित होगा। बैंकों को उम्मीद है कि अब ग्रामीण इलाकों के लोग भी बिना किसी झिझक के बैंक खाता खुलवाएंगे और नियमित लेन-देन करेंगे।
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अन्य बैंकिंग शुल्कों पर भी रखें नजर
हालांकि मिनिमम बैलेंस चार्ज खत्म हो गया है, लेकिन ग्राहकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि अन्य बैंकिंग सेवाओं जैसे एटीएम ट्रांजैक्शन, चेक बुक, डेबिट कार्ड आदि पर बैंक अलग-अलग शुल्क वसूल सकते हैं। इसलिए खाते का संचालन करते समय बैंक की शर्तों और नियमों को ध्यान से पढ़ना जरूरी है।
समावेशी बैंकिंग की ओर एक बड़ा कदम
यह बदलाव न केवल ग्राहकों के लिए राहत है, बल्कि बैंकिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा और वित्तीय समावेशन को भी मजबूती देगा। इससे देश के करोड़ों खाताधारकों को सीधा लाभ मिलेगा और बैंकिंग सेवाओं का दायरा और मजबूत होगा।